साउथ अफ्रीका और अमेरिका से आती हैं चियरलीडर्स
दरअसल, इन चियरलीडर्स को बकायदा एक सेलेक्शन ट्रायल के बाद फाइनल किया जाता है। इस ट्रायल में सैकड़ों चियरलीडर्स हिस्सा लेती हैं, जिनमें कुछ लोगों को ही आईपीएल में मौका दिया जाता है। ये ट्रायल पूरी दुनिया में चलाया जाता है, जिसमें साउथ अफ्रीका, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों का डॉमिनेंस रहता है।
10 हजार तक होती है सैलरी
आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि अरबों रुपए वाली इंडियन प्रीमियर लीग में चियरलीडर्स को एक मैच के सिर्फ 10 हजार रुपए ही बतौर सैलरी मिलते हैं। वैसे तो हर टीम का सैलरी स्ट्रक्चर अलग होता है, लेकिन एवरेज देखें तो यह दस हजार के आसपास ही आता है। कानपुर की घरेलू टीम गुजरात लायंस अपनी चियरलीडर्स को 8 से 9 हजार रुपए प्रति मैच सैलरी देता है, जबकि 3 हजार रुपए बोनस और पार्टी या इवेंट्स के लिए उन्हें 9 से 10 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसी तरह का सैलरी स्ट्रक्चर दिल्ली डेयरडेविल्स और सनराइजर्स हैदराबाद का भी है। करना पड़ता है घंटों प्रैक्टिस चियरलीडर्स को कई घंटे प्रैक्टिस करना पड़ता है। दरअसल, इनका सेलेक्शन ट्रायल ही उनकी डांस एबिलिटी को देखकर किया जाता है। हर मैच से पहले ये चियरलीडर्स हिंदी बॉलीवुड सांग्स व टीम के थीम सांग्स पर प्रैक्टिस करती हैं। दिलचस्प बात ये होती है कि इन्हें गानों के बोल पता ही नहीं होते, लेकिन इसके बावजूद वो धुन को पकड़कर उसके साथ कदमताल करती हैं। उन्हें एक डांस टीचर भी दिया जाता है, जो उन्हें प्रैक्टिस करने में मदद करता है
कमेंट्स तक सुनने पड़ते हैं
चीयरलीडर्स का काम इतना भी आसान नहीं होता, क्योंकि जब वो मैदान पर परफॉर्म करती हैं तो उन्हें दर्शकों की हूटिंग भी झेलनी पड़ती है। कई दर्शक गंदी फब्तियां भी कसते हैं, लेकिन वो उन पर ध्यान नहीं देती हैं। गुजरात की सेलिना डर्बी के मुताबिक, हिंदी में गालियां उन्हें समझ में नहीं आतीं, लेकिन जब कुछ लोग अंग्रेजी में उन्हें गालियां या अश्लील बाते करते हैं तो उन्हें खराब लगता है। हालांकि वो किसी बात पर रिएक्ट नहीं करती हैं। तीसरी बार आईपीएल का हिस्सा बनीं सेलिना के मुताबिक, आईपीएल की शुरुआत में ये सारी चीजें ज्यादा होती थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे बदलाव आ गया है। अब लोग सिर्फ उन्हें नहीं बल्कि उनके डांस को भी देखने आते है।
Cricket News inextlive from Cricket News Desk
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