reality check

- रेलवे पैसेंजर के लिए बने यात्री मित्र में नहीं सुनी जाती पैसेंजर्स की कंप्लेन

- ट्रेन आने पर भी ऑफिस में बैठकर ही कागजों में सहयोग करते हैं कर्मचारी

GORAKHPUR: व‌र्ल्ड फेमस गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर 2006 में पहला यात्री मित्र खोला गया था। उद्देश्य था पैसेंजर्स का मित्र बनकर उनकी हर समस्या का समाधान ढूंढना लेकिन यह मित्र पैसेंजर्स के साथ मित्रता नहीं निभा रहे। पैसेंजर्स की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन तो दूर, ये उसे सुनना-लिखना तक गंवारा नहीं समझते। शुक्रवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रिएल्टी चेक में इसका खुलासा हुआ।

कागजों में चलता है यात्री मित्र काउंटर

ट्रेन से किसी की मौत हो जाए या फिर जंक्शन पर किसी पैसेंजर को कोई भी समस्या हो, हर समस्या के निदान के लिए एनई रेलवे के तत्कालीन जीएम सुखबीर सिंह ने 2006 में जंक्शन पर 'यात्री मित्र' ऑफिस की शुरुआत की थी। गोरखपुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर स्थित यात्री मित्र इंडियन रेलवे का पहला ऑफिस है। यहां आने वाले पैसेंजर्स की मदद के लिए डिप्टी एसएस कॉमर्शियल की देखरेख में इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट से एक कर्मचारी, कैरिज व वैगन से एक कर्मचारी और सुरक्षा की दृष्टि से आरपीएफ की संयुक्त टीम बनाई गई है.

नहीं दर्ज की कंप्लेन

शुक्रवार को जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर वहां पहुंचा तो डिप्टी एसएम कॉमर्शियल को छोड़कर वहां कोई नजर नहीं आया। वहां एक पैसेंजर्स अपने टिकट के साथ पहुंचकर कुछ समस्या बताता है। बिहार के दरभंगा जिले के दिनेश शाह की ट्रेन छूटने ही वाली है। वे यात्री मित्र ऑफिस में मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन वहां उनसे स्टेशन प्रबंधक के पास जाने के लिए कह दिया जाता है। यही नहीं उसकी कंप्लेन तक दर्ज नहीं की गई।

िवभाग का भी ध्यान नहीं

यात्री मित्र काउंटर पर किसी को मदद नहीं मिल पा रही। काउंटर पर एक ही व्यक्ति रहता है। अन्य मेंबर्स अटेंडेंस लगाकर गायब हो जाते हैं। पैसेंजर्स के पहुंचने पर उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाती। यहां तक कि उन्हें कंप्लेन दर्ज करने के लिए रजिस्टर तक नहीं देते।

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पैसेंजर्स को देनी है सुविधाएं

- फ‌र्स्ट एड बॉक्स

- कम्यूटर सिस्टम

- व्हील चेयर व स्ट्रेचर

- हेल्प के लिए टेलीफोन

- सिक्योरिटी के लिए फोर्स

वर्जन

यात्री मित्र सेल पूरी तन्मयता से पैसेंजर्स की मदद के लिए काम कर रही है। यहां आने वाले सभी पैसेंजर्स की समस्याओं का निदान किया जा रहा है और शिकायतें दर्ज की जाती हैं। बावजूद इसके अगर किसी तरह की शिकायत मिली तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

- सीपी चौहान, पीआरओ, एनईआर