Varanasi:

कैंट रेलवे स्टेशन चाइल्ड ट्रैफिकिंग का टैरिफिक जोन बना हुआ है। पश्चिम बंगाल, बिहार और यूपी के विभिन्न इलाकों से बहला फुसलाकर लाये गये बच्चों को यहां से तस्करों के ठिकानों तक भेजा जाता है। रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की निगाह पड़ी तो ठीक वरना तस्कर अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते है। चाइल्ड ट्रैफिकिंग के क्षेत्र में रेलवे तस्करों का एक सॉफ्ट रुट बना हुआ है। पिछले छह महीने के आंकड़ों पर गौर करे तो यहां से 25 से ज्यादा केसेज ऐसे मिले, जिन्हें बिना घर वालों की परमिशन के लाया गया था।

 

उठाते है भीड़ का फायदा

रेलवे में होने वाली भीड़ का फायदा उठाकर तस्कर बड़ी ही आसानी से रेलवे पुलिस की निगाहों से बचकर निकल जाते है। स्टेशन परिसर में कम मैन पॉवर और रेलवे सिक्योरिटी का सीमित दायरा भी एक वजह है। ऐसे में उनका धन्धा और भी तेजी से फलता - फूलता है। रेलवे इंटेलिजेंस ने हेड क्वार्टर को भेजी अपनी रिपोर्ट में इसे प्वाइंट आउट किया है। पहले भी राजकीय रेलवे पुलिस को हेड क्वार्टर लेवल से जारी गाइड लाइन में पैसेंजर्स की भीड़ में ऐसे संदिग्ध लोगों को ट्रेस करने का निर्देश मिला हुआ है।

 

निशाने पर बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल

तस्करों के निशाने पर बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के एरिया होते है। जहां आसानी से 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा पैसे दिलाने और उंचे ख्वाब दिखाकर उन्हें फांस लिया जाता है। इसके बाद मुगलसराय स्टेशन और कैंट रेलवे स्टेशन से ट्रेन में बैठाकर नई दिल्ली , सुरत और अहमदाबाद भेज दिया जाता है। तस्करों के चंगुल से छूटकर आये जमनियां के अनिल गौंड़ नामक लड़के ने आपबीती सुनाई।

 

 

बच्चों को छोड़कर भाग निकला

कैंट रेलवे स्टेशन पर बीते मंगलवार को तस्करी कर जा रहे दो बच्चों को जीआरपी की सहायता से बरामद कर लिया गया। हालांकि लोगों को चकमा देकर तस्कर वहां से भागने में कामयाब हो गये। जीआरपी ने चंदौली के नियमताबाद निवासी रवि और संजीत दूबे नामक बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया।

 

 

स्टेशन परिसर में इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। निगरानी बढ़ाने के लिए यहां कैमरे भी लगाये गये है। - जेपी सिंह, इंस्पेक्टर जीआरपी