छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: बारीडीह स्थित मर्सी हॉस्पिटल में शनिवार की दोपहर एक मरीज की मौत होने के बाद उसके परिजनों ने जमकर बवाल काटा। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया। जानकारी के मुताबिक पारडीह चौक निवासी प्रतिमा देवी (50) के पेट में पत्थरी की शिकायत थी। इसके बाद उसे मर्सी अस्पताल में डॉ। जीके चौधरी को दिखाया गया। उन्होंने ऑपरेशन करने की सलाह दी। इसके बाद उसे 26 जून को भर्ती किया गया। इस दौरान ऑपरेशन भी हुआ, लेकिन उसके कुछ ही दिनों के बाद महिला को उल्टी व दस्त होने लगी। इसके बाद उसे फिर दिखाया गया तो डॉ। जीके चौधरी ने कहा कि दोबारा ऑपरेशन करना होगा। दोबारा महिला को दो अगस्त को भर्ती किया गया और तीन अगस्त को सर्जरी हुई, लेकिन इस दौरान उसकी स्थिति ठीक होने की बजाय और भी बिगड़ती चली गई।

नहीं मिला स्पष्ट जवाब

परिजनों का आरोप है कि इस दौरान डॉक्टर से बार-बार पीडि़त की स्थिति जानने की कोशिश की गई, लेकिन डॉक्टर द्वारा एक बार भी स्पष्ट जवाब नहीं मिला की आखिर उसकी स्थिति क्या है? इतना ही नहीं, पीडि़त को दूसरे अस्पताल भी ले जाने के लिए रेफर करने को कहा गया, लेकिन नहीं किया। नतीजा हुआ कि शनिवार की दोपहर उसकी मौत हो गई। मौत की सूचना जैसे ही परिजनों को मिली कि वह हंगामा करने लगे।

कार्रवाई की मांग

इस दौरान परिजन ने डॉ। जीके चौधरी को बातचीत के लिए बुलाने की मांग पर अड़े रहे, लेकिन वह नहीं आए। इससे आक्रोशित परिजनों ने शव को अस्पताल में ही छोड़ दिया और कहा कि जबतक डॉक्टर नहीं आते वह शव को नहीं ले जाएंगे। मृतक का बेटा विक्रम यादव ने कहा कि यदि उनकी मां का ऑपरेशन सही ढंग से किया जाता तो मौत नहीं होती। उन्होंने आरोपी डॉक्टर पर उचित कार्रवाई की मांग की है।

इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई है। परिजनों का आरोप गलत है। पहले मरीज का पत्थरी का ऑपरेशन किया गया था। दोबारा गॉल ब्लॉडर का ऑपरेशन किया गया। मरीज को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की गई।

सिस्टर एल्सी, मैनेजर, मर्सी हॉस्पिटल