VARANASI

चौंकिए नहीं, क्987 के दशक में आई एक्टर अनिल कपूर की मूवी 'मिस्टर इंडिया' को इनकम टैक्स ने निशाने पर नहीं लिया है बल्कि शेल कंपनियों के उन मालिकों को निशाने लिया है जो गुमनाम रहकर बड़े-बड़े कारनामें कर रहे हैं। सीमेंट, स्टील और साल्वेंट कारोबारी वीके अग्रवाल गु्रप की शेल कंपनियों का खुलासा होने के बाद आयकर विभाग ने पूर्वाचल सहित बनारस की ऐसी शेल कंपनियों का पता लगाना शुरू कर दिया है। दिन-रात की जा रही पड़ताल में लगभग डेढ़ सौ शेल कंपनियों का खुलासा हुआ है। मिस्टर इंडिया को ढूंढ़ने के लिए इनकम टैक्स के तेज तर्रार ऑफिसर्स की टीम लगाई गई है। शेल कंपनियों को बनाने वाली मूल कंपनी की पहचान में जुटे इनकम टैक्स विभाग के रडार पर बैंक में बड़ी राशि जमा करने वाले एकाउंट होल्डर्स भी है।

 

तो ऐसे ही फंसा अग्रवाल गु्रप

इनकम टैक्स की डिमांड पर बैंकों की ओर से अवेलेबल कराए गए एकाउंट होल्डर्स की लिस्ट में खंगाला जा रहा है कि कितने ऐसे एकाउंट होल्डर्स हैं जिन्होंने नोटबंदी के बाद से अब तक सबसे अधिक ट्रांजेक्शन किया है। इस आधार पर सर्च व सर्वे की कार्रवाई और तेज कर दी गई है। यही वजह रहा कि पिछले दिनों सिटी के एक प्रमुख सराफा कारोबारी के यहां सर्च कार्रवाई में ख्क् करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ था। इसी प्रकार बीते शुक्रवार को स्टील व सीमेंट कारोबारी वीके अग्रवाल ग्रुप के यहां की गई छापेमारी में बीस करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी गई। वीके अग्रवाल ग्रुप ऐसे ही कागज पर शेल कंपनी बनाकर करोड़ों की हेराफेरी कर रहा था।

 

सौ से अधिक खाताधारक चिन्हित

नोटबंदी के बाद से अब तक एक करोड़ या उससे अधिक कैश जमा करने वाले एकाउंट होल्डर्स की जांच की जा रही है। बैंकों से मिली लिस्ट में सौ से अधिक खाताधारकों को चिह्नित किया जा चुका है। इनमें दो बड़े मामले सामने आ चुके हैं।

 

हर एकाउंट का देना होगा ब्यौरा

काले धन की रोकथाम के लिए आयकर रिटर्न के प्रारूप में भी बदलाव किया गया है। इस नए फॉर्म के जरिए करदाताओं के सभी बैंक खातों का ब्यौरा उपलब्ध होगा। एक साल बाद बंद किए गए व संयुक्त खातों की जानकारी भी रिटर्न दाखिल करते वक्त देना जरूरी है। नई व्यवस्था में पचास लाख रुपये से अधिक सालाना आय वालों को अपनी चल-अचल संपत्ति की जानकारी भी आयकर विवरणी में देनी होगी।

 

क्या होती हैं शेल कंपनियां?

शेल कंपनियां (मुखौटा कंपनी) कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं। इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है।

 

कैसे होता है रजिस्ट्रेशन

शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन सामान्य कंपनियों की तरह होता है। सामान्य कंपनियों की तरह इनमें भी डायरेक्टर्स होते हैं। इनमें मालिक के नाम गुप्त रखे जाते हैं।

 

 

पूर्वाचल में लगभग डेढ़ सौ शेल कंपनियां कागजों पर रन कर रही हैं। इनकी मूल कंपनी की पहचान का पता लगाया जा रहा है। शेल कंपनियों के खत्म होने से टैक्स बेस में बढ़त होगी, यही टैक्स चोरी के खेल में दो बड़े कारोबारियों का पर्दाफाश किया गया है।

अभय ठाकुर, आयकर विभाग (जांच)