RANCHI : जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा है, वैसे-वैसे ठंडे व तरह पेय पदाथरें की कीमत में उछाल आता जा रहा है। चिलचिलाती गर्मी से 20 रूपए का नारियल पानी अब 50 रूपए में बिक रहा है, तो 25 -30 रूपए के संतरा जूस की कीमत 40 रूपए पहुंच चुकी है। खास बात है कि इन तरल पेय पदार्थो की कीमत भी दुकानदारी अपनी मनमर्जी से तय कर रहे हैं। कोई दुकानदार 30 रूपए ग्लास जूस बेच रहा है तो कोई 35 रूपए। इतना ही नहीं, कस्टमर्स के हिसाब से वे इसके दाम वसूल रहे हैं।

डिमांड बढ़ने से बढ़ी कीमत

गर्मी के मौसम में नारियल पानी (डाभ) की डिमांड काफी बढ़ जाती है। ये पेय पदार्थ हेल्थ के लिए भी अच्छा होता है। ऐसे मे ं इसकी डिमांड है, उस हिसाब से सिटी में सप्लाई नहीं हो रही है। ऐसे में कचहरी चौक, ओवरब्रिज, डोरंडा और मोरहाबादी इलाके में लगने वाले डाभ की दुकानों में जितने कस्टमर्स आते हैं, उन्हें उसकी मांग के हिसाब से यह तरल पेय पदार्थ नहीं मिल पाता है, जिस कारण इसकी कीमत में लगातार उछाल जारी है।

नहीं होता है कोई रेट फिक्स

नारियल पानी व जूस समेत अन्य तरल पेय पदार्थ ज्यादातर छोटे दुकान, स्टॉल अथवा ठेलों पर बिकते हैं। ये अपने मर्जी से इनकी दाम तय करते हैं। दाम भी इलाके पर निर्भर करता है। खासकर नारियल का पानी व जूस के दाम इसी पर तय होते हैं। हालांकि, सत्तू का घोल व अमझोरा की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रहता है। सभी इलाकों में कमोबेश एक ही कीमत पर ये दोनों उपलब्ध होते हैं।

तरल पेय पदार्थो की शुद्धता की गारंटी नहीं

सबसे अहम बात है कि छोटे-छोटे स्टॉल व ठेलों पर बिकने वाले तरल पेय पदार्थो की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। वे इसमें क्या मिलावट करते हैं, इसे देखने वाला कोई नहीं है। इतना ही नहीं, यहां जिस पानी का इस्तेमाल किया जाता है, वह कहां का है, यह भी पता नहीं चलता है। ऐसे में ठेलों पर तरल पेय पदार्थो का सेवन करना हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है।