- पीएचडी स्कॉलर्स का डाटा अपडेट करने के दिए गए थे निर्देश

- तीन महीने के बाद भी नहीं हुआ आयोग के निर्देशों का पालन

- यूजीसी ने कहा, नाफरमानी करने वाले संस्थान होंगे डिफॉल्टर

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DEHRADUN: रिसर्च स्कॉलर्स का डाटा वेबसाइट पर अपलोड करने के यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के निर्देशों की नाफरमानी अब संस्थानों को भारी पड़ेगी। आयोग ने नाफरमानी करने वाले संस्थानों को फटकार लगाई है और डाटा अपलोड न करने पर यूनिवर्सिटी को डिफॉल्टर घोषित करने की चेतावनी दी है।

दो महीने का दिया था वक्त

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने पिछले दिनों यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में रिसर्च कर रहे स्कॉलर्स का ब्योरा ऑनलाइन करने के निर्देश दिए थे। आयोग की भ्ख्क्वीं बैठक में शिक्षण संस्थानों में पीएचडी कर रहे रिसर्च स्कॉलर्स की रिसर्च से जुड़ी तमाम जानकारियों को ऑनलाइन करने का फैसला किया गया। बैठक में संस्थानों को इसके लिए दो महीने का वक्त दिया गया, ताकि निर्धारित समय के अंदर रिसर्च की प्रोग्रेस को वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जा सके। जिसके तहत स्टूडेंट्स की रिसर्च, टॉपिक और उसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ ही ग्रांट आदि का ब्योरा शामिल था।

नहीं किया निर्देशों का पालन

आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों का संस्थानों ने पालन नहीं किया। जिसके बाद अब यूजीसी ने एक बार फिर संस्थानों को फटकार लगाते हुए डाटा ऑनलाइन किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही संस्थानों को चेतावनी भी दी है कि यदि निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो उन संस्थानों को डिफॉल्टर करार दिया जाएगा। आयोग ने साफ शब्दों में यह बात सर्कुलर जारी करते हुए संस्थानों को कही है। इसके बाद भी यदि संस्थानों ने रिसर्च स्कॉलर्स का डाटा वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया तो डिफॉल्टर घोषित करने के साथ-साथ उन्हें मिलने वाली ग्रांट भी रोकी जा सकती है। इसके अलावा कई अन्य मदों में मिलने वाली सहायता से भी संस्थानों को हाथ धोना पड़ सकता है।

प्रदेश में संस्थानों की संख्या पर नजर

कैटेगरी संख्या

सेंट्रल यूनिवर्सिटी- 0क्

स्टेट यूनिवर्सिटी- क्0

डीम्ड यूनिवर्सिटी- 0फ्

प्राइवेट यूनिवर्सिटी- क्क्

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज- 99

एडिड कॉलेज- क्म्

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रिसर्च कर रहे स्टूडेंट्स की सभी एकेडमिक जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जानी है। आयोग द्वारा इसे लेकर पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं। हमारी ओर से यूनिवर्सिटी को डाटा भेजा गया है। डाटा अपलोड करने में ढीला रवैया उसे डिफॉल्टर श्रेणी में ले आएगा। जो कि सही नहीं है। संस्थानों को चाहिए कि समय से निर्देशों का पालन करते हुए व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में सहयोग करें।

----- प्रो। वीए बौड़ाईं, प्रिंसिपल, एसजीआरआर पीजी कॉलेज।