Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in

@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) का राजनीतिक जीवन काफी चर्चा में रहा। सूबे के मुखिया के रूप में हो या फिर देश के सबसे बड़े ओहदे पर पहुंचने के बाद, वीपी सिंह ऐसे नेता थे जिनके काम और फैसले अक्सर विवादों में रहे। विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर युवाकाल से ही प्रारंभ हो गया था। जल्द ही विश्वनाथ प्रताप भारतीय कॉग्रेस पार्टी से संबंधित हो गए थे। सन 1961 में वह उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे। कुछ समय के लिए उन्होंने उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार भी संभाला लेकिन जल्दी ही वह केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बन गए।

अमिताभ बच्‍चन की वजह से धूप में बुलेट पर प्रचार करने जाते थे यूपी के मुख्‍यमंत्री वीपी सिंह

इसके अलावा वह राज्यसभा के सदस्य और देश के वित्तमंत्री भी रहे। इसी बीच उनका टकराव राजीव गांधी से हो गया। बोफोर्स तोप घोटाले की वजह से भारतीय समाज में कॉग्रेस की छवि बेहद खराब हो गई जिसका वीपी सिंह ने पूरा फायदा उठाया। उन्होंने कॉग्रेस खासतौर पर राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने नौकरशाही और कॉग्रेस की सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की बातें जनता में फैला दीं। कुछ वर्ष बाद वीपी सिंह ने कांग्रेस विरोधी नेताओं को जोड़कर राष्ट्रीय मोर्चें का गठन किया। 1989 के चुनाव में कॉग्रेस को भारी क्षति का सामना करना पड़ा लेकिन वीपी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चें को बहुमत मिला और जनता पार्टी और वामदलों की सहायता से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद हासिल किया। प्रधानमंत्री की ताजपोशी होने के बाद भी वह कॉग्रेस के विरुद्ध प्रचार करते रहे।

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अमिताभ बच्‍चन की वजह से धूप में बुलेट पर प्रचार करने जाते थे यूपी के मुख्‍यमंत्री वीपी सिंह

महत्वपूर्ण फैसले :

वीपी सिंह ने 9 जून 1980 से 18 जुलाई 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। मुख्यंमत्री रहने के बावजूद वीपी सिंह अक्सर कारों के काफिले से न चलकर मोटरसाइकिल से भ्रमण के लिए निकल जाते थे। 80 के दशक की बात है जब जून जुलाई की भयानक गर्मी में मोटर साइकिल पर सवार होकर उन्होने इलाहाबाद में चुनाव प्रचार किया था और अमिताभ बच्चन द्वारा इस्तीफा दिये जाने से खाली हुयी सीट पर हुये 1988 उपचुनाव में श्री लाल बहादुर शास्त्री के सुपुत्र श्री सुनील शास्त्री को हराया था। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने बटमारी की समस्या को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किये, उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम इलाकों के ग्रामीण भागों में यह समस्या गंभीर रूप से व्याप्त थी। इसके चलते उन्होंने बहुत से लोगों का भरोसा जीत लिया था और अपने इलाको में बहुत सी ख्याति प्राप्त कर ली थी। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से रिजाइन भी कर दिया था।

अमिताभ बच्‍चन की वजह से धूप में बुलेट पर प्रचार करने जाते थे यूपी के मुख्‍यमंत्री वीपी सिंह

फिर बने गए प्रधानमंत्री

वीपी सिंह पहले कांग्रेस के काफी करीबी रहे लेकिन इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी से उनकी पटरी नहीं खाई। और बाद में 1988 में वीपी सिंह ने राष्ट्रीय मोर्चा नाम की नई पार्टी का गठन किया। 1989 का लोकसभा चुनाव पूर्ण हुआ। कांग्रेस को भारी क्षति उठानी पड़ी। उसे मात्र 197 सीटें ही प्राप्त हुईं। विश्वनाथ प्रताप सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे को 146 सीटें मिलीं। भाजपा और वामदलों ने राष्ट्रीय मोर्चे को समर्थन देने का इरादा ज़ाहिर कर दिया। तब भाजपा के पास 86 सांसद थे और वामदलों के पास 52 सांसद। इस तरह राष्ट्रीय मोर्चे को 248 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो गया। और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन गए।

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व्यक्ितगत जीवन :

वीपी सिंह का जन्म राजपूत जमींदार परिवार में 25 जून 1931 को हुआ था, उनका परिवार मंदा की जागीरदारी पर राज करता था। उन्होंने कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर अलाहाबाद और पुणे यूनिवर्सिटी से उन्होंने आगे की शिक्षा प्राप्त की थी। 25 जून 1955 को देवगढ के राजा की बेटी सीता कुमारी के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ था। उन दोनों को दो बेटे है, पहला अजय सिंह (जन्म – 1957), जो न्यू यॉर्क में चार्टर्ड अकाउंटेंट है और दूसरा अभी सिंह (जन्म 1958), जो नयी दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस में डॉक्टर है।

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अमिताभ बच्‍चन की वजह से धूप में बुलेट पर प्रचार करने जाते थे यूपी के मुख्‍यमंत्री वीपी सिंह

महत्वपूर्ण बातें :

1. एक राजनेता के अलावा वीपी सिंह एक बेहतरीन कवि, लेखक, पत्रकार और फोटोग्राफर भी थे।

2. कांग्रेस से इस्तीफा देते समय उन्होंने एक कविता लिखी थी। 'तुम मुझे क्या खरीदोगे, मैं बिल्कुल मुफ्त हूँ'

3. 77 साल की उम्र में दिल्ली के अपोलो हॉस्पीटल में वी. पी. सिंह का निधन हो गया।

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