अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि में मंथन

ALLAHABAD: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गुरुवार को आधी आबादी के सम्मान और अधिकारों को लेकर व्यापक विचार विमर्श किया गया। हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से एकेडेमी सभागार में 'स्त्री विमर्श : पहल दर पहल' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रो। चंद्रकला त्रिपाठी ने कहा कि अब वह दौर आ गया है जिसमें स्त्री की अस्मिता को सम्मान के साथ देखा जा रहा है और उसके भीतर चेतना, ज्ञान व व्यापक हस्तक्षेप की ओर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं। बस जरुरत इस बात की है कि उनके अधिकारों की लड़ाई को एकजुट होकर लड़ना चाहिए। डॉ। आशा उपाध्याय, डॉ। प्रमिला टंडन व डॉ। शांति चौधरी ने भी अपनी बातें रखी।

सैद्धांतिकता को समझना जरूरी

विवि के क्षेत्रीय केन्द्र में समय, समाज और स्त्री विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोलते हुए डॉ। लालसा यादव ने कहा कि स्त्री विमर्श को व्यवहारिकता के अलावा सैद्धांतिक तौर पर भी समझना चाहिए। क्योंकि देह विमर्श, सौंदर्यीकरण का बाजार, परिवार व समाज में महिलाओं के योगदान पर विचार किया जाना जरुरी है। प्रो। संतोष भदौरिया ने महिला दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। हमीदिया ग‌र्ल्स डिग्री कालेज के परिसर में आयोजित समारोह के दौरान मैनेजिंग कमेटी की प्रेसीडेंट रशीदा खां को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भेंटकर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

चित्रकला-पोस्टर प्रदर्शनी

महिला दिवस के अवसर पर इलाहाबाद संग्रहालय में संस्कृति व महिला सशक्तिकरण थीम पर चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि समीना नकवी ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। स्त्री मुक्ति लीग व दिशा छात्र संगठन की ओर से महिला हास्टल के परिसर में पुस्तक व पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में स्त्री मुक्ति आंदोलनों से जुड़े चित्रों का समावेश किया गया था।