यो यो टेस्ट

इस टेस्ट में 20 मीटर की दूरी पर कोन रखे जाते हैं। खिलाड़ी लगातार दो कोन के बीच में दौड़ता है और जब बीप बजती है तो उसे तुरंत मुड़ने के साथ दूरी तय करना होता है। हालांकि बीच में सिर्फ दस सेकेंड का ब्रेक मिलता है। इसके बाद हर एक मिनट में गति बढ़ती जाती है और अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और 'बीप' के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है। अगर खिलाड़ी दो छोरों पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो परीक्षण वहीं रोक दिया जाता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए खिलाड़ियों का अंक भी तय किया जाता है।

इतना अंक होना अनिवार्य

इसके बारे में बाद में आकलन किया जाता है कि खिलाड़ी ने कितनी स्पीड बरकरार रखी। बीसीसीआई के मुताबिक हर खिलाड़ी को इस टेस्ट में कम से कम 19.5 या इससे ज्यादा अंक प्राप्त करने होते हैं। इसी से माना जाता है कि कोई खिलाड़ी कितना फिट है। कुल मिलकर यह पूरी प्रक्रिया एक सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है, जिसमें खिलाड़ियों के नतीजे रिकॉर्ड किए जाते हैं।

आईपीएल टीमों में अनिवार्य है ये टेस्ट

फिलहाल सभी आईपीएल टीमों ने यह टेस्ट अपने खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है। कुछ टीमों ने तो यह टेस्ट आईपीएल नीलामी के तुरंत बाद ही ले लिए थे। बताया जा रहा है कि सनराइज़र्स हैदराबाद, चेन्नई सुपर किंग्स, कोलकाता नाइट राइडर्स और दिल्ली डेयरडेविल्स की टीमें भी अपने खिलाड़ियों का यो-यो फिटनेस टेस्ट लेंगी। अगर कोई खिलाडी इस टेस्ट में पास नहीं होता है तो चाहे उसे कितना महंगा ही क्यों नहीं खरीदा गया हो, उसे फिट होने तक आईपीएल में खेलने की इजाजत नहीं होगी।

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