BENGALURU: देश की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की इकाई टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने स्पेस में तैनात सैटेलाइट्स और स्पेस ड्डकी गतिविधियों की निगहबानी के लिए एक एंटीना टर्मिनल प्रणाली लांच की है। जहाज के सहारे समुद्र में तैनात की जाने वाली यह प्रणाली बहुत महंगी और जटिल प्रणालियों के सफल विकल्प के रूप में तैयार की गई है।


कैसे करेगी काम
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इसरो के सूत्रों के मुताबिक एक जहाज के अंतर्गत चलने वाली यह एंटीना प्रणाली 4.6 मीटर लंबी है। यह सैटेलाइट्स की ट्रैकिंग के लिहाज से सभी मौजूदा और भावी जरूरतों को पूरा करती है। इस सस्ती और टिकाऊ प्रणाली से सिस्टम इंजीनियरिंग के बारे में भी और पुख्ता जानकारी मिलती है। इससे इसरो की अभियान संबंधी विश्वसनीयता में भी सुधार आया है। शहर आधारित आइएसटीआरएसी से सभी उपग्रहों और इसरो के लांच वेहकिल अभियानों को ट्रैक किया जा सकता है।

डीप स्पेस मिशंस में भी कारगर
इसरो के अनुसार डीप स्पेस मिशंस के लांच के समय और उसके बाद भी उन पर पूरी नजर रखने के लिए बड़े पैमाने पर ग्राउंड स्टेशनों की आवश्यकता पड़ती है। बेहतर दृष्यता और लांच वेहकिल की सटीक लोकेशन का पता करने के लिए समुद्र के बीचोंबीच बहुत से टीटीसी स्टेशनों की आवश्यकता पड़ती है। चूंकि वहां पर ग्राउंड स्टेशन एंटीना उपयोगी साबित नहीं होते हैं। लिहाजा, मध्य समुद्र में टीटीसी स्टेशनों के भारी-भरकम सेटअप के झंझट और खर्च से बचने का 4.6 मीटर की एसबीटी एंटीना प्रणाली बेहतरीन विकल्प है। इस प्रणाली में 3 एक्सिस एंटीना माउंट, एक गति उत्तेजक यंत्र (मोशन स्टुमिलेटर) और रिफ्लेक्टर और फीड, सर्वो कंट्रोल प्रणाली और आरएफ इलेक्ट्रानिक्स है।


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किया आखिरी सफल परीक्षण
इसरो ने इस प्रणाली का अंतिम सफल परीक्षण समुद्र में किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलोजी के सागर मंजुषा जहाज से इस एंटीना प्रणाली को संबद्ध किया गया और बंगाल की खाड़ी से इसने सफलतापूर्वक पीएसएलवी-सी38 को ट्रैक किया है। इसरो के इस अभियान को 23 जून को आंध्र के श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था।

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