शुरू हो गई रॉकेट इंजन की टेस्टिंग

सौर ऊर्जा से संचालित भारतीय मंगलयान पिछले 9 महीनों से अंतरिक्ष में सफर कर रहा है. इस लंबे सफर के बाद यह मंगल गृह के करीब पहुंच गया है. लेकिन यान के मंगल गृह की कक्षा में स्थापित होने के लिए एक सर्टेन स्पीड की जरूरत पड़ेगी. इसलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगलयान के रॉकेट इंजन को एक्टिवेट करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. गौरतलब है कि यह इंजन पिछले कई महीनों से स्लीप मोड में था. इसलिए इसरो के वैज्ञानिक इस इंजन को अंतिम पड़ाव से पहले एक बार टेस्ट करना चाहते हैं.

रॉकेट इंजन का सही से काम करना जरूरी

मंगलयान की 300 दिन लंबी यात्रा के दौरान इस इंजन को बंद रखा गया था ताकि जरूरत के वक्त इसे यूज किया जा सके. मंगलयान के आखिरी दौर में पहुंचने पर इस रॉकेट इंजन का शुरु होना जरूरी है. लेकिन यह भी जरूरी है कि यह इंजन ठीक ढंग से काम करे. इसलिए इसरो के वैज्ञानिक आज इस इंजन को 4 सेकेंड्स तक चालू करके रखेंगे.

मंगलयान की स्पीड घटाएगा इंजन

मंगलयान इस समय 22 किलोमीटर पर सेकेंड की स्पीड से मंगलगृह की ओर बढ़ रहा है. लेकिन इस यान की सफलता के लिए जरूरी है कि यान की गति को 4.4 किलोमीटर पर सेकेंड पर लाया जाए. इसलिए मंगलयान के रॉकेट इंजन को 24 मिनट तक फायर किए जाएंगे. गौरतलब है कि इस यान में जो रॉकेट इंजन यूज किया गया है उसे अब तक दो दर्जन बार यूज किया जा चुका है और इसने हर बार ठीक ढंग से काम किया है. इसलिए वैज्ञानिकों ने 14 सितंबर से ही कमांड्स को अपलोड करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने कोई गड़बड़ होने की स्थिति में मंगलयान के लिए दूसरा प्लान भी तैयार किया है. इस प्लान के लिए यान में 8 छोटे थ्रस्टर इंस्टॉल किए गए हैं जो मंगलयान को गृह की कक्षा में प्रवेश कराएंगे.

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