सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाना है लक्ष्य
बॉलीवुड मूवीज में निगेटिव किरदार निभाने के दौरान भले ही कई बार वह धर्म और अध्यात्म से दूर नजर आते हों। लेकिन, यह सिर्फ रील लाइफ का सच है। रीयल लाइफ का सच इससे ठीक पलट है। इस लाइफ में वह अध्यात्म को पूरी-पूरी तवज्जो देते हैं। बात कर रहे हैं एक्टर आशुतोष राणा की जो मंडे को इलाहाबाद में थे। उनके यहां आने का एक प्रयोजन है। यह प्रयोजन है पार्थिव शिवलिंग निर्माण में हिस्सा लेने का। मंडे को उन्होंने पूरा दिन पार्थिव शिवलिंग निर्माण स्थल पर बिताया और न सिर्फ खुद पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया बल्कि इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों में भी पूरे मनोयोग से शामिल हुए। वैसे इस आयोजन में शिरकत करने वाले युवाओं का जोश देखने लायक है। इसमें छात्र-छात्राओं की संख्या ज्यादा है। वह पार्थिव शिवलिंग निर्माण के साथ ही यहां होने वाली दूसरी गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

देवप्रभाकर को गुरु मानते हैं आशुतोष
पार्थिव शिवलिंग के निर्माण का आयोजन गृहस्थ संत पं। देवप्रभाकर शास्त्री उर्फ दद्दा जी द्वारा संगम तट पर किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए पहुंचे आशुतोष ने खुद को दद्दा जी का शिष्य बताया और कहा कि किसी भी कीमत पर वे इस प्रोग्राम को मिस नहीं कर सकते। प्रोग्राम में शामिल होने के लिए वे संडे नाइट ही सिटी पहुंच गए थे। रात हो जाने के चलते वह इस आयोजन के साथ मंडे मार्निंग जुड़े और पूरा वक्त यहीं बिताया। उन्हें अपने बीच पाकर छात्र-छात्राएं बेहद उत्साहित थे. 

पार्थिव शिवलिंग बनाने का मकसद
पार्थिव शिवलिंग के निर्माण की प्रक्रिया कई सालों से चल रही है। दद्दा जी द्वारा हर साल बड़े पैमाने पर यह आयोजन किया जाता है। संगम तट पर माघ मेला शुरू होने से ठीक पहले होने वाला यह आयोजन एक सप्ताह तक चलता है। पार्थिव शिवलिंग का ही निर्माण क्यों? इस बारे में दद्दा बताते हैं कि उनके गुरु ने पार्थिव शिवलिंग को दान में मांगा था। उसके बाद से ही वह यह अनुष्ठान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देवों के देव महादेव सबकी मनोकामना पूरी करने वाले हैं। पूरी सृष्टि उनके भीतर समाहित है। पार्थिव शिवलिंग के द्वारा भक्त अपने आराध्य की उपासना करते हैं। जिससे उन पर भगवान शिव का आर्शिवाद बना रहता है. 

गंगा घाट पर होता है विसर्जन
मंडे को सेवा समिति विद्या मंदिर फील्ड में बने दद्दा जी धाम में बड़ी संख्या में लोगों ने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया। शाम होते ही तैयार शिवलिंग को पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने के पश्चात गंगा किनारे बनाएं गए गढ्ढे में विसर्जित कर दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में शिव भक्त मौजूद रहे। दद्दा जी ने बताया कि यह सिलसिला अनवरत सात दिसंबर तक चलेगा.


यूथ में भी बढ़ा अध्यात्म का क्रेज
आज का यूथ हाईटेक तो है लेकिन अपनी परंपराओं और मूल्यों से दूर बिल्कुल नहीं। इसका उदाहरण है दद्दा जी का कैंप। यहां टीनएजर्स व यंगस्टर्स भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। इसमें इनवाल्व होने के साथ ही यूथ कैंपस में होने वाली अध्यात्मिक कल्चरल एक्टिविटी में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा था। हर कोई पूरे जोश में था। इस बारे में पूछे जाने पर हर किसी का कहना था कि यह बेहतरीन आयोजन है और यहां आकर मन को शांति मिलती है। अपने धर्म के बारे में जानने का मौका मिला है। यूं ही नहीं हमारे बुजुर्ग धर्म और अध्यात्म में टाइम स्पेंड करते हैं.


प्रभु श्री राम ने भी बनाया था इलाहाबाद में पार्थिव शिवलिंग
इलाहाबाद में पार्थिव शिवलिंग निर्माण का जिक्र रामायण काल में भी मिलता है। प्रचलित कथा के अनुसार रावण का वध करने के बाद प्रभु श्री राम भारद्वाज ऋषि का आर्शीवाद लेने के लिए पहुंचे थे। भारद्वाज ऋषि ने प्रकांड विद्वान रावण के वध का ब्रह्म हत्या बताया था और इसके दोष से मुक्त होने के लिए सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाने को कहा था। ऋषि के कहने पर प्रभु श्रीराम ने सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया था। इसी के चलते इस एरिया का नाम ही शिवकुटी पड़ गया.


कुछ और खास बातें
-देव प्रभाकर शास्त्री उर्फ दद्दा जी लम्बे समय से करते आ रहे हैं यह आयोजन
-उनके अनुसार यह 83वां आयोजन है
-दद्दा के अनुसार गुरु के दान में सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग मांगने पर कराते हैं यह आयोजन
-प्रत्येक वर्ष माघ मेला से ठीक पहले होता है यह आयोजन
-बॉलीवुड की हस्तियों, दद्दा के शिष्यों के अलावा बड़ी संख्या में शहरी बनते हैं इसका हिस्सा