RANCHI : झारखंड देश का ऐसा राज्य है, जिसका अपना हेलीकॉप्टर नहीं है। अलग राज्य बनने के बाद से ही यहां के मुख्यमंत्री, मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स किराए के उड़नखटोले पर सैर कर रहे हैं। अगस्त 2001 से फरवरी -2017 तक सिर्फ हेलीकॉप्टर के किराए पर जितने रुपए फूंक दिए हैं, उसमें कम से कम 25 उड़नखटोले खरीदे जा सकते थे। पिछले सत्रह सालों में तकरीबन हर साल हेलीकॉप्टर के किराए पर औसतन 18 करोड़ रुपए रुपए सरकारी खजाने से खर्च किए जा रहे हैं। इस तरह तकरीबन तीन अरब रुपए राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावा मंत्रियों, नेताओं और अफसरों की हवाई यात्राओं पर फूंके जा चुके हैं। किराए पर हेलीकॉप्टर लेने का यह शगल सिर्फ राज्य सरकार के इसी कार्यकाल का ही नहीं है, बल्कि हर सरकार में यह सिलसिला चल रहा है।

आर्यन कंपनी का करार खत्म

झारखंड सरकार अबतक आर्यन कंपनी के अगस्टा-109 हेलीकाप्टर की सेवा लेती आ रही थी। लेकिन, इस कंपनी के साथ अब करार खत्म हो चुका है। लेकिन, वर्तमान सरकार अपना हेलीकॉप्टर खरीदने की बजाय फिर से किराए पर इसे लेने की योजना बना रही है। इस बार नई और अपडेटेड उड़नखटोले को भाड़ा पर लिया जाएगा। इसके लिए विमानन कंपनियों से आवेदन मांगे गए हैं।

फाइलों में टेंडर गुम

2016 मे बिजनेस एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए टेंडर सरकार ने टेंडर जारी किया था। इसके तहत 10-16 सीटर बिजनेस जेट एयरक्राफ्ट और 5 से 7 हेलीकॉप्टर खरीदा जाना था। टेंडर के असेसमेंट करने के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति भी की गई थी। दो महीने तक नगर विमानन विभाग द्वारा खरीदारी को लेकर प्रक्रिया जारी रही, लेकिन इसके बाद से टेंडर की यह फाइल धूल फांक रही है और फिर से किराए पर ही हेलीकॉप्टर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

हर घंटे का किराया तीन लाख

राज्य सरकार तीन लाख रुपए प्रति घंटे फ्लाइंग की दर से हेलीकॉप्टर का किराया दे रही है, आर्यन कपंनी के हेलीकॉप्टर को झारखंड सरकार हर महीने कम से कम 50 घंटा यूज कर रही है, बदले में कंपनी को सरकार हर महीने डेढ़ करोड़ का भुगतान कर रही है, यानी सरकार सालाना 18 करोड़ रुपए हेलीकॉप्टर के किराए के रूप में खर्च कर रही है। इस तरह पिछले सत्रह सालों में उड़नखटोले का तकरीबन तीन अरब रुपए किराया सरकार दे चुकी है।

खरीदे जा सकते थे 25 हेलीकॉप्टर

इंटरनेशनल एविएशन इंडस्ट्री में पांच सीटेड हेलीकॉप्टर का मिनिमम रेट 10 से 12 करोड़ है। ऐसे में झारखंड सरकार ने 17 सालों मे तकरीबन तीन अरब रुपए किराए पर खर्च कर दिए हैं। इतने रुपए में सरकार तीस हेलीकॉप्टर खरीद सकती थी।

कई बार दे चुका है धोखा

झारखंड नगर विमानन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार अभी आर्यन कंपनी का जो अगस्टा हेलिकॉप्टर यूज कर रही है, उसकी उड़ान की लिमिट हर महीने 25 से 30 घंटे है। लेकिन यह 50 घंटे से ज्यादा उड़ान भर रहा है, इस कारण से इस हेलीकॉप्टर में प्रॉब्लम आ रही है, हालांकि प्राइवेट कंपनी का हेलीकॉप्टर होने के कारण सरकारी अधिकार ऑन द रिकॉर्ड इस पर मुंह खोलने से बच रहे हैं, लेकिन दबी जुबान जरूर इस व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।