RANCHI: जम्मू-कश्मीर के बटालिक सेक्टर में हिमस्खलन में शहीद सेना के जवान मांडर के बिसाहाखटंगा जोल्हा टोली निवासी ख्ख् वर्षीय कुलदीप लकड़ा की जून में शादी होनी थी। उनकी शहादत की सूचना मिलने पर जोल्हाटोली आई मंगेतर अनिता बेक ने बताया कि ब् अपै्रल को दिन में करीब दस बजे उनकी फोन पर कुलदीप से बातचीत हुई थी। उसने कहा था कि सब ठीक ठाक है। मई के आखिरी या फिर जून के पहले सप्ताह में छुट्टी लेकर घर आऊंगा। इसके बाद हमारा लोटा-पानी हो जाएगा। तुम अपना ख्याल रखना। अनिता बेक के अनुसार, गुमला के एक तीर्थस्थल में ख्0क्फ् में मुलाकात के बाद से कुलदीप से उसकी जान-पहचान बढ़ी थी और अब उनकी शादी होने वाली थी।

घर का इकलौता चिराग, शहादत पर गर्व

इधर, कुलदीप लकड़ा के पिता जेवियर लकड़ा को अपने पुत्र की शहादत पर गर्व है। उनका कहना है कि मेरा पुत्र देश की सेवा में लगा था और शहीद हो गया। लेकिन दु:ख इस बात का है कि वह मेरे घर का एकलौता चिराग था। उसकी तीन बहनें हैं। उसके दुनिया से चले जाने के बाद उनके परिवार को कोई देखने वाला नहीं बचा। कुछ ऐसा ही कहना है शहीद की बड़ी बहन सेलिन लकड़ा का भी। वह कहती हैं कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है। परिवार को नाज है कि उसके छोटे भाई कुलदीप ने न सिर्फ अपने परिवार का नाम रौशन किया है, बल्कि अपने गांव व राज्य का नाम भी ऊंचा किया है।

बहन ने उठाया था पढ़ाई का खर्च

सेलिना ने बताया कि कुलदीप जब पढ़ाई कर रहा था, तो वह एक निजी स्कूल में काम कर उसकी पढ़ाई का खर्च उठाती थी। लेकिन, जब कुलदीप की सेना में नौकरी लगी तो उसने बीएड में दाखिला लिया है और अब कुलदीप ही उसकी पढ़ाई का खर्च उठा रहा था। कुलदीप की मां डोरोथी कुजूर का बेटे के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद से ही रो रोकर बुरा हाल है। उनका कहना है कि मेरा इकलौता बेटा देश के लिए शहीद हो गया। उसी की कमाई से घर का खर्च चलता था। मेरी तीन बेटियों सेलिन लकड़ा, विश्वासी लकड़ा व विनीता लकड़ा में से एक विश्वासी लकड़ा की शादी हो चुकी है। दो लड़कियां अभी अविवाहित हैं। मेरी सरकार से मांग है कि मेरे शहीद बेटे की जगह पर सरकार मेरी एक बेटी को नौकरी दे।

ख्0क्ब् में बहाल हुआ था सेना में

जम्मू-कश्मीर के बाटलिक सेक्टर में शहीद कुलदीप लकड़ा ने ख्0क्ब् में सेना की नौकरी ज्वाइन की थी। ख्0क्भ् में पटना के दानापुर में ट्रेनिंग के बाद उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में ही हुई थी। पोस्टिंग के बाद ख्0क्म् के नवम्बर माह में वह पहली छुट्टी में अपने घर आया था ओर करीब तीन माह के बाद वापस गया था।

ब् दिन पूर्व हुई थी मां से बात, मई में घर लौटना था

चार दिन पूर्व उसने फोन पर अपनी मां से बात की थी और पूरे परिवार का हालचाल पूछा था। कहा था कि मई के आखिरी सप्ताह में घर आऊंगा। इसके बाद म् अप्रैल को रात करीब साढ़े नौ बजे उन्हे सूचना दी गई कि कुलदीप का एक्सीडेंट हो गया है। अब वह इस दुनिया में नहीं है। इस सूचना के बाद ही घर में कोहराम मच गया। कुलदीप लकड़ा चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। कुलदीप के पिता जेवियर लकड़ा साधारण किसान हैं और पेट की बीमारी से ग्रसित हैं। पेट का तीन बार ऑपरेशन हो चुका है। कुलदीप ने अपनी प्रारभिंक शिक्षा सेंट जान उच्च विधालय नावटांड़ से की थी। उसने ख्009 में मैट्ृिक की परीक्षा पास की थी और इटकी से इंटर की परीक्षा पास की थी।