- सपा और बसपा ने की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराने की मांग

- वेल में सपा सदस्यों ने दिया धरना, तीन बार स्थगित हुई विधानसभा

- सत्तारुढ़ दल और विपक्ष ने जमकर लगाए एक-दूसरे पर आरोप

LUCKNOW: कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा की घटना पर चर्चा कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में सपा सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी की और धरना दे दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। धरने पर अड़े सपा सदस्यों का रुख देख सदन की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सपा और बसपा ने इस घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग भी की। इससे पहले सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। सपा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की वजह से प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहती है। वही भाजपा ने कहा कि सपा प्रदेश में शांति नहीं चाहती है।

समुदाय विशेष को निशाना बनाया गया

दरअसल, सपा के नितिन अग्रवाल ने कासगंज हिंसा का मामला उठाते हुए कहा कि तिरंगा यात्रा के नाम पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा गया और समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बनाया गया। भाजपा दंगा कराकर चुनाव जीतना चाहती है। उन्होंने इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। वहीं नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में हिंदू-मुसलमान दोनों ने कुर्बानी दी। इसके बावजूद 26 जनवरी को कासगंज में दूसरे समुदाय के लोगों को संदेह की नजर से देखा गया। तिरंगा यात्रा में शामिल लोग दूसरे झंडे लेकर आए थे। नारा लगा रहे थे कि 'हिंदुस्तान में रहना है तो वंदे मातरम' कहना है। हम हिंसा में मारे गये चंदन गुप्ता को पूरे विपक्ष की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके परिजनों को ज्यादा मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद और कुछ अन्य संगठनों ने जानबूझकर मुस्लिम पक्ष पर हमला किया था। यह हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं था। जिन्होंने आजादी के लिए कुर्बानी दी, अब उन्हें वंदे मातरम सिखाया जा रहा है। यह देश में आग लगाने की सुनियोजित साजिश है। उन्होंने इस घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की।

पुलिस दुकानों को जलवा रही थी

वहीं बसपा दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि 26 जनवरी को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था तो कासगंज जल रहा था। जब से भाजपा सरकार आई है, प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के मामले बढ़े हैं। यह खुद इनके केंद्रीय मंत्री स्वीकार कर रहे हैं। मैंने जब टीवी देखा तो लगा कि पुलिस खुद दुकानों को जलवा रही है। वहीं सुखदेव राजभर ने कहा कि आज जिस तरह देश में तमाम सेनाएं, संगठनों का गठन हो रहा है वह देश के भविष्य के लिए खतरनाक है। तिरंगा फहराना अब फैशन बनता जा रहा है। इसपर चर्चा होनी चाहिए ताकि इस सदन से एक अच्छा संदेश जनता के बीच जाए।

यात्रा को जानबूझकर रोका गया

वहीं संसदीय कार्यमंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष समुदाय विशेष का नाम लेकर माहौल खराब कर रहे हैं। दंगे और घटना में फर्क होता है। कासगंज की घटना दंगा नहीं है। भाजपा नेता प्रतिपक्ष की भाषा पर घोर आपत्ति जताती है। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। कासगंज में 25 साल से तिरंगा यात्रा निकलती है। जिस जगह से यात्रा गुजरती है वहां कुछ लोगों ने कुर्सी-मेज डालकर उसे रोकने का प्रयास किया। पूरा प्रशासन पुलिस लाइंस में गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में व्यस्त था। रास्ता रोकना ही इस घटना की असली वजह है। इससे रिएक्शन हुआ, वाद-विवाद बढ़ा और किसी ने चंदन गुप्ता को गोली मार दी। 25 जनवरी से कासगंज में धारा 144 लागू थी। किसी नये कार्यक्रम को करने से पहले उसकी अनुमति लेनी चाहिए थी। चंदन के परिवार के साथ पूरी सरकार को सहानुभूति है। पुलिस की मौजूदगी में हिंसा होने की बात असत्य है। ऐसी घटना सरकार के लिए भी अच्छी बात नही है। सरकार प्रदेश में रहने वाले हर नागरिक की धार्मिक भावना का पूरा सम्मान करती है। दरअसल, सपा प्रदेश में शांति नहीं चाहती है। उन्होंने पूर्ववर्ती सपा सरकार में हुए दंगों का आंकड़ा भी सदन में पेश किया। इसके बाद सपा के सदस्य विरोध करते हुए वेल में आ गये और नारेबाजी करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें वापस जाने को कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही पहले दस मिनट, फिर पंद्रह मिनट और अंत में आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी। इसके बावजूद सपा के सदस्यों ने वेल में अपना धरना समाप्त नहीं किया जिसके बाद सदन की कार्यवाही को सोमवार के लिए स्थगित कर दिया गया।