विभिन्न तरीके से साज सज्जा
जटाएं कुछ साधुओं की सबसे बड़ी पहचान होती हैं। इन मोटी-मोटी जटाओं की देख-रेख भी उतने ही जतन से की जाती है। काली मिट्टी से उन्हें धोया जाता है। सूर्य की रोशनी में सुखाया जाता है। साधु अपनी जटाओं को विभिन्न तरीके से सजाते हैं। कुछ फूलों से सजाते हैं, कुछ रुद्राक्षों से तो कुछ मोतियों की मालाओं से जटाओं का श्रंगार करते हैं।

धोने के लिए विशेष वस्तुयें
ये साधु अपनी जटाओं को धोते भी खास तरीके से और खास चीजों से। जैसे जटाओं को मुलायम बनाने के लिए बालों को मुल्तानी मिट्टी से धोया जाता है। जबकि मजबूती और चमक के लिए बालों को धोने में रीठा का इस्तेमाल होता है। साधु बालों को धोने के लिए भस्म या धूनी का प्रयोग भी करते हैं। 

Sadhu with long hair

केवल एक अवसर के अलावा कभी नहीं कटवाते बाल
लंबे बालों वाले ये साधु दशानन जटल सन्यासी कहलाते हैं। और ये जीवल पर्यंत अपने बाल ना कटवाने के लिए कटिबद्ध होते हैं। केवल एक ही परिस्थिति होती है जब वे अपने बाल कटवाने के लिए विवश होते हैं। ये स्थिति होती है जटल सन्यासी के गुरू का देहावसान। गुरू की मृत्यु होने पर ही वे अपने बाल कटवाते हैं।

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