Director: Manish Harishankar
Cast:
Gurmeet Choudhary, Akshara Haasan, Darshan Jariwala, Ravi Kishan, Vivaan Shah,

कहानी :

पहले तो जो मां बाप आज अपने बेटे-बेटी का नाम लड्डू –लाली रखते हैं, उनको शत शत नमन। अब आपको वो तिलिस्मी प्रेम कथा सुनाते हैं जिसपर ये फिल्म बनी है। लड्डू को लाली से प्यार है, इसलिए लाली प्रेग्नेंट हो जाती है। मूर्ख, नालायक और निकम्मे लड्डू को एक दम से अपना करियर पहली प्रायोरिटी दिखने लगता है और वो लाली को छोड़ कर चला जाता है। लाली की किस्मत अच्छी थी की एक राज महल में रहने वाला राज कुमार (मैं मज़ाक नहीं कर रहा) को उसी समय में एक ऐसी लड़की की तलाश है जो पेट से हो। क्यों? क्योंकि उस लड़की से शादी करके ही वो चक्रवर्ती सम्राट बनेगा... उफ़ तौबा ! आगे की कहानी तो आप मत ही पूछिए, आपको भी मेरी तरह उच्च रक्तचाप हो जाएगा।

कथा पटकथा और निर्देशन:
‘हम साथ साथ हैं’ और ‘क्या कहना’ के ‘विवाह’ के पश्चात् उनको ‘प्रेम रतन धन’ जैसी कोई औलाद पैदा होगी तो उसका नाम होगा ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’। कम से कम, पच्चीस फिल्मों के चीजी सीन चुरा चुरा चुराकर इस फिल्म की कहानी लिखी गई है। कहानी लिखने वाले महानुभावों के फ़िल्मी ज्ञान की दाद देनी पड़ेगी, एक एक सीन जस का तस लिख दिया। इसके लिए उन्हें ‘गोल्डन केला’ अवार्ड ज़रूर मिलना चाहिए। ‘मशीन’ ये अवार्ड हार चुकी है। इस फिल्म के निर्माताओं को हर उस इंसान को ‘ऑस्कर’ देना चाहिए जिसने ये फिल्म अंत तक झेल ली हो।





अदाकारी :

दीना पाठक जी के नाती, नसीर साहब और रत्ना जी के बेटे विवान शाह को अब बहुत सोच समझ के फिल्में चुननि पड़ेंगी (अगर इस फिल्म के बाद उन्हें कोई फिल्म बतौर लीड मिलती है तो), पहले हैप्पी न्यू इयर और अब ये, विवान ने जैसे सोच लिया है की वो एक से बढ़ कर के मूर्खतापूर्ण रोल्ज़ ही करेंगे। हालांकि वो इस फिल्म के विदूषक नहीं हैं, पर उनका काम अंग्रेजी में बोलें तो ‘कॉमिक’ लगता है। ठीक वैसे ही कमल हसन और सारिका की सुपुत्री अक्षरा भी इस फिल्म से साबित करती हैं, की खराब अभिनय में वो किसी को भी पीछे छोड़ सकती हैं। फिर आते हैं भगवान् राम के टीवी अवतार गुरमीत जी जिनको अब सचमुच वनवास पे चले जाना चाहिए ताकि तो अपने घोड़े ‘स्टालियन’ के साथ जगल में जाकर अपना मूह छुपा सकें, जब तक लोग इस बात को भूल न जाएं की वो इस फिल्म की सेकंड लीड थे। संजय जी और सौरभ जी से कर्बध्ह प्रार्थना है की ऐसी फिल्मों से दूर रहे।

संगीत:
इससे अच्छा तो आप किसी लेडीज़ संगीत की रिकॉर्डिंग सुन लें। जिस तरह से एक से बढ़ कर एक बुरी फिल्में सिनेमाँ हाल में अवतरित हो रही हैं, मैं धीरे धीरे ‘शानदार’, ‘बेफिक्रे’ और ‘मोहनजोदारो’ जैसी फिल्मों को भूलता जा रहा हूँ। अब बस भगवान् से एक ही प्रार्थना है, इससे पहले की ऐसी और एक फिल्म देखनी पड़े ,मुझे उठा ले।

शादी का कार्ड छपेगा:
अगर इस शादी का कार्ड छपेगा तो स्नेह्पात्री गोलू, छोटू पिंटू भी रो रो कर बोलेंगे: ‘मेली लाली बुआ और लद्दू फूफा की छादी में मत आना'
Review by : Yohaann Bhaargava
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