- फिल्म 'बजरंगी भाईजान' को सरकार ने किया टैक्स-फ्री, मनोरंजन कर विभाग को नहीं रिसीव हुए आदेश

- ऑर्डर रिसीव होने में लगता हैं 3-4 दिनों का वक्त, चुनिंदा स्क्रीन्स पर ही दिखाए जाते हैं टैक्स-फ्री शो

- लास्ट फाइनेंशियल ईयर में आधा दर्जन टैक्स-फ्री फिल्मों ने पब्लिक को करवाई 1.5 करोड़ की बचत

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KANPUR : बॉलीवुड फैन्स के चहेते 'भाईजान' यानि सल्लू भाई को देखना अभी तीन-चार दिन टैक्स-फ्री नहीं होगो। इसलिए अभी सिनेमा हॉल की खिड़की पर आपको मूवी टिकट की पूरी कीमत ही चुकानी पड़ेगी। खास बात यह कि शहर की सभी स्क्रीन्स पर फिल्म टैक्स-फ्री नहीं दिखाई जाएगी। इसलिए अगर 3-4 दिन बाद फिल्म देखने का प्रोग्राम हो तो पहले इस बात की जानकारी जरूर कर लें कि सिनेमा हॉल में किस-किस समय पर 'टैक्स-फ्री' शो दिखाए जाने हैं।

हर ऑर्डर आता है 3-4 दिन लेट

प्रदेश सरकार ने फिल्म बजरंगी भाईजान को भले ही प्रदेश में टैक्स-फ्री कर दिया हो, लेकिन अभी 3-4 दिन आपको इस फिल्म को देखने के लिए टिकट की पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी। मनोरंजन कर अधिकारी वीबी सिंह के अनुसार आदेशों की कॉपी विभाग को मिलने के बाद ही इसे सिनेमा हॉल व मल्टीप्लेक्स के मालिकों को फॉरवर्ड किया जाता है। इस प्रक्रिया में 3-4 दिन का समय लगना आम बात है। इसलिए अभी कानपुराइट्स को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।

फ्राईडे को ही होगी टैक्स-फ्री

टैक्स-फ्री की प्रक्रिया में शुक्रवार का दिन बेहद खास होता है। यही वह दिन है जब फिल्म के टैक्स-फ्री शो सिनेमा हॉल्स व मल्टीप्लेक्स में दिखाए जाने की शुरूआत होती है। भले ही फिल्म को टैक्स-फ्री करने का ऑर्डर सिनेमा या मल्टीप्लेक्स स्क्रीन को फॉरवर्ड कर दिया गया हो। क्योंकि इस दिन नई मूवीज तो रिलीज होती ही हैं, साथ में टैक्स-फ्री मूवी को कितने और दिनों तक शहर में चालू रखना है। इसका फैसला भी डिस्ट्रिब्यूटर्स फ्राईडे को ही करते हैं।

पब्लिक का नुकसान

इस पूरी कवायद में अगर किसी का नुकसान होता है तो वह है पब्लिक। टैक्स-फ्री की घोषणा के बाद फिल्म देखने वालों की संख्या निश्चित ही बढ़ जाती है। मगर, जब टिकट विंडों पर पब्लिक से टिकट की पूरी कीमत मांगी जाती है तो उसको झटका लगता है। कई बार टिकट विंडों पर ही पब्लिक और टिकट बेचने वाले की नोक-झोंक हो जाती है। दूसरी मुश्किल तब आ खड़ी होती है जब एक ही शहर में किसी एक सिनेमा हॉल में फिल्म का टैक्स-फ्री शो दिखाया जाता है और दूसरे हॉल में पूरे पैसे चार्ज किए जाते हैं। यहां डिस्ट्रिब्यूटर्स चालाकी भी करते हैं। ज्यादातर टैक्स-फ्री शो मॉर्निग या लेट नाइट में चलाए जाते हैं। चूंकि इस समय ज्यादा फुटफॉल नहीं होता। इसलिए डिस्ट्रिब्यूटर्स को ज्यादा नुकसान नहीं होता।

समझ लीजिए टैक्स-फ्री का गणित

जब भी सरकार किसी फिल्म को टैक्स-फ्री करती है। तो मनोरंजन कर विभाग के जनरल स्टैंडिंग रूल्स के तहत उस फिल्म के सिर्फ 200 प्रिंट ही टैक्स-फ्री होते हैं। यानि पूरे प्रदेश के सभी जिलों में जितने भी सिंगल स्क्रीन व मल्टीप्लेक्स स्क्रीन्स हैं। उनमें सिर्फ 200 स्क्रीन्स पर ही टैक्स-फ्री मूवी दिखाई जा सकती है। अब यह फैसला फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर को करना होता है कि किस शहर की किस मल्टीप्लेक्स या स्क्रीन में टैक्स-फ्री शो चलाना है। वह भी किस टाइम पर। अगर डिस्ट्रिब्यूटर चाहे तो कुछ चुनिंदा जिलों के सभी स्क्रीन टैक्स-फ्री कर सकता है। और अगर चाहे तो सभी शहरों में कुछ चुनिंदा स्क्रीन्स में टैक्स-फ्री शो चलाने की परमीशन दे सकता है।

1 साल में 6 फिल्मों पर टैक्स माफ

बीते फाइनेंशियल ईयर 2014-15 के दौरान प्रदेश सरकार ने कुल 6 फिल्मों को टैक्स-फ्री किया है। सलमान खान की बजरंगी भाईजान इस फाइनेंशियल ईयर की पहली टैक्स-फ्री फिल्म है। मूवीज को टैक्स-फ्री करने का मतलब होता है कि पब्लिक को बेची जाने वाली टिकट में एंटरटेनमेंट टैक्स शामिल न किया जाए। मनोरंजन कर नियमावली के अनुसार मूवी की प्रत्येक टिकट पर विभाग 40 परसेंट टैक्स वसूलता है।

1.5 करोड़ का फायदा पब्लिक को

आधा दर्जन मूवीज को टैक्स-फ्री किये जाने का सीधा फायदा जनता जनार्दन को भी हुआ। मनोरंजन कर विभाग के अनुसार टैक्स माफी के कारण सभी 6 फिल्मों से 1.5 करोड़ टैक्स की कमाई होनी थी। मगर, टैक्स माफी के कारण यह पैसा सीधे पब्लिक की जेब में चला गया। इन सभी फिल्मों से कुल 3.75 करोड़ रुपए का इनकम होनी थी। मगर, टैक्स-फ्री होने के कारण सेल ग्रोथ घटकर 2.25 करोड़ रह गई।

मिस टनकपुर हाजिर हों और इश्क परिंदे भी टैक्स फ्री

मंगलवार को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में फिल्म मिस टनकपुर हाजिर हो और इश्क परिंदे को भी टैक्स फ्री करने का फैसला किया गया है। इन फिल्मों में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में शूटिंग की गई है।

इन मूवीज को किया गया था टैक्स-फ्री - ø पीके

ø तेवर

ø मर्दानी

ø मैरीकॉम

ø हवाईजादा

ø कटियाबाज

मनोरंजन कर विभाग को फिल्मों से होने वाली टैक्स इनकम का रिकॉर्ड -

फाइनेंशियल ईयर इनकम

2012-13 25 करोड़

2013-14 28 करोड़

2014-15 31 करोड़

2015-16 37 करोड़

3-4 दिनों बाद ही अमूमन यह ऑर्डर्स हमें रिसीव होते है, जिसके बाद सिनेमा वालों को आदेशों की कॉपी भिजवाई जाती है। उसके बाद ही वहां टैक्स-फ्री शो चलाए जाते हैं। ऐसे में पब्लिक को टिकट की पूरी कीमत ही चुकानी पड़ेगी।

- महेन्द्र सिंह, मनोरंजन कर उपायुक्त