-नगर निगम के दफ्तरों में पूरे दिन लटके रहे ताले

-सीट से नदारद दिखाई दिए बाबू और हुजूर-ए-आला

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Meerut : एक ओर जहां दस दिनों से शहर की सफाई व्यवस्था ठप पड़ी है। वहीं नगर निगम के दफ्तर में लटके ताले यह बयां कर रहे हैं कि हड़ताल में सफाई कर्मियों के साथ बाबू और अफसरान भी शामिल हैं। इसका नतीजा है कि नगर निगम दफ्तर में लिपिकों से लेकर अफसरों के केबिनों के ताले लगे हुए हैं।

तालाबंद दिखे केबिन

वेतन वृद्धि को लेकर संघर्ष कर रहे सफाई कर्मियों की हड़ताल का असर नगर निगम में साफ दिखाई दे रहा है। शनिवार को नगर निगम में बंद जैसे हालात दिखाई दिए। आलम यह था कि जहां निगम परिसर में सन्नाटा पसरा था, वहीं लिपिक वर्ग से लेकर इंजीनियर्स और प्रशासनिक अफसरों के केबिनों पर भी बड़े-बड़े ताले लटके दिखाई पड़े।

कुछ केबिन खुले पर कुर्सी खाली

नगर निगम में अधिकतर दफ्तरों जहां ताले झूल रहे थे। वहीं कुछ केबिन खुले थे, लेकिन अफसरों की कुर्सियों अकेली पंखे की हवा खा रही थी। जानकारी कर पता चला कि सुबह से कोई अफसर दफ्तर नहीं पहुंचा, वो बात अलग है कि जनता को धोखा देने के लिए कुछ एक केबिनों को खुला रखा गया।

कहीं हड़ताल में समर्थन तो नहीं

जिस तरह के हालात नगर निगम दफ्तर में नजर आ रहे हैं, उससे देखकर पहला विचार जहन में यही आता है कि केवल सफाई कर्मी ही नहीं पूरा नगर निगम ही हड़ताल कर बैठा है या फिर हड़ताल कर रहे सफाई कर्मचारियों को निगम के अफसरों को भी पूरा समर्थन प्राप्त है।

कुछ अफसरों की ड्यूटी फिल्ड में लगाई गई है। लेकिन अधिकतर अधिकारी दफ्तर में ही बैठक कर काम देख रहे हैं। बाबुओं और अफसरों के दफ्तरों पर लगे तालों के संबंध में जानकारी की जाएगी। ऐसा है तो गलत है।

एसके दुबे, नगर आयुक्त मेरठ