दगी की बात नहीं जिंदगी है 'सर सर सरला'
अपने नाटक 'सर सर सरला' के बारे में बात करते हुए मकरंद देशपांडे ने कहा कि ये नाटक जिंदगी के बारे में बात नहीं करता बल्कि ये नाटक जिंदगी ही है। उन्होंने कहा एक दौर होता है कि हम सबको अपने टीचर से प्यार हो जाता है और उस वक्त के गुजरने के बाद जिंदगी का रुख बदल जाता है और प्यार का भी। वहीं आहना कुमरा ने कहा कि आइडियल प्यार लगने लगता है।  

मेरा हिस्सा है 'अंश'
मकरंद के थियेटर ग्रुप का नाम है 'अंश' और उनका मानना है कि ये उनका ही हिस्सा है। दूसरों के लिखे नाटकों पर काम करने की जगह वे अपने लिखो को अपने तरीके से लोगों को तक पहुंचाना चाहते थे और इसीलिए वो प्ले लिखते भी, डायरेक्ट भी करते हैं और उसमें काम भी करते हैं। अपने ही नाटकों को इंपव्रोवाइज करते रहना उनका जुनून है। सर सर सरला की इसी तरह उन्होने ट्रायलॉजी तक बना दी थी। अंश की शुरआत उन्होंने मशहूर अभिनेता केके मेनन के साथ मिल कर की।

मैं बचपन से मशहूर था: मकरंद देशपांडे

शोहरत नहीं चाहिए क्योंकि बचपन से मशहूर हूं
मकरंद ने एक काफी मजेदार कही कि वो फिल्में शोहरत या सक्सेज के लिए नहीं करते बस इसलिए करते हैं ताकि उनका थियेटर का काम चलता रहे। अपने बारे में वे कहते हैं कि शोहरत की उन्हें चाह नहीं क्योंकि वो तो बचपन से मशहूर हैं। हर कोई उन्हें चाइल्डहुड से जानता है फिर चाहे वो पहचान मुहल्ले में हो या काम में। उन्हें काम मांगने कभी नहीं जाना पड़ता और वो लगातार व्यस्त रहते हैं। मंच से जुड़े रहना उन्हें उर्जावान और युवा बनाये रखता है और वो यही करना चाहते हैं।

रिलेशनशिप हो जिंदगी ठहराव पसंद नहीं
मकरंद को रुकना पसंद नहीं है वो किसी भी एक चीज से बंध कर नहीं रह सकते। वो कहते हैं मैं फिल्में करूं, थियेटर करूं, या हो सकता है कल मैं किताब लिखने लगूं। कुछ भी बस बदलाव होता रहे और वो ऐसा हर मामले में करते हैं। किसी एक रिलेशनशिप में भी शायद ठहराव उनको नहीं भाता उसे बहते रहना चाहिए।

चरित्र में खोना नहीं उसमें दिखना चाहते हैं
अक्सर लोग कहते हैं कि किसी करेक्टर को प्ले करते हुए वो अपनी पर्सनेलिटी उसमें खो देते हैं या उस चरित्र में डूब जाते हैं पर मकरंद का कहना है कि वो हर चरित्र में अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ देना पसंद करते हैं। मकरंद का कहना है कि वो खोने में नहीं नजर आने में यकीन रखते हैं। जबकि साथी आहना का कहना कि वो वही दिखना चाहती है जो चरित्र है।

मैं बचपन से मशहूर था: मकरंद देशपांडे

सितारों के आगे जहां और भी है
आहना और मकरंद दोनों ने ही बड़े स्टार्स के साथ काम किया है आहना पहली बार अनुराग कश्यप के टीवी शो 'युद्ध' में अमिताभ बच्चन के साथ उनकी बेटी के चरित्र में नजर आयी थीं, जबकि मकरंद आमिर खान, शाहरुख खान और अक्षय कुमार के साथ फिल्मे कर चुके हैं। फिर भी दोनों का मानना है कि इससे आपके काम या काम मिलने के मौंकों पर कोई खास असर नहीं पड़ता। वे ये जरूर मानते हैं कि इससे लोगों से जुड़ने और उन तक पहुंचने में मदद जरूर मिलती है। आहना ऐसे लोगों को महज आदर्श के तौर पर सामने रखती हैं और लंबे समय तक काम करती रहना चाहती हैं। अमिताभ की तरह वो 70-80 साल की उम्र तक काम करती रहना चाहती हैं।

आमिर और शाहरुख स्टार नहीं दोस्त है
मकरंद का कहना है कि जब उन्होने आमिर के साथ 'कयामत से कमायत' में काम किया था उससे पहले वो थियेटर में हीरो का रोल करते थे और आमिर बैक स्टेज काम सीखते थे। बाद में उन्होंने फिल्म 'सर फरोश' में भी आमिर के साथ काम किया। जबकि 'स्वदेश' में उनके हीरो शाहरुख के साथ वो टीवी शो 'सर्कस' में उनके स्टार बनने के पहले काम कर चुके थे। तो वे उनके लिए स्टार कम दोस्त ज्यादा थे।

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