-इंटरसिटी से जन शताब्दी बनी मंडुवाडीह से पटना जाने वाली ट्रेन का किराया बढ़ा, सुविधा नहीं।

-पीएम ने जिसको बताया था सहूलियत की सवारी उसे लेकर बढ़ती जा रही पब्लिक की शिकायत

VARANASI

पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च को जिस जन शताब्दी ट्रेन को पब्लिक की सहूलियत की सवारी बताकर शुरू किया था उसका किराया पैसेंजर्स की जेब पर भारी पड़ रहा है। रेलवे ने पीएम के संसदीय क्षेत्र के मंडुवाडीह स्टेशन से पटना के लिए नयी ट्रेन की घोषणा की तो पब्लिक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह ट्रेन पहले इंटरसिटी थी, तब किराया भी इंटरसिटी का ही रहा। जैसे ही इसे जनशताब्दी का नाम दिया गया उसके किराए में बढोत्तरी हो गयी। जबकि सुविधा इंटरसिटी वाली ही रही। ट्रेन को लेकर पहले ही दिन से पैसेंजर्स का फीडबैड बेहतर नहीं है।

जनरल को राहत

रेलवे ने जब इंटरसिटी के नाम पर ट्रेन चलाने का डिसीजन लिया था। तब एसी चेयरकार का किराया 378 रुपये था। नाम जन शताब्दी होते ही यह किराया 450 रुपये हो गया। इसी प्रकार सेकेंड सीटिंग चेयरकार का किराया पहले 100 रुपये जो बढ़कर 130 रुपये हो गया। वहीं जनरल कोच के लिए पहले की तरह अब भी 85 रुपये ही किराया है। इसमें कोई वृद्धि नहीं की गयी है।

कोचेज इंटरसिटी के

बनारस से पटना को सीधे जोड़ने के लिए पब्लिक की डिमांड पर रेलवे ने इंटरसिटी चलाने का फैसला लिया था। आनन-फानन में ट्रेन का रैक भी मंगा लिया गया। इस बीच बनारस दौरे पर आए पीएम से इसको हरी झंडी दिखाने का प्लान बन गया। इसमें रेलवे को सफलता भी मिल गयी। लेकिन पीएम के हाथों इंटरसिटी जैसी ट्रेन को हरी झंडी दिखाने को लेकर अंदरखाने में चर्चा शुरू हो गयी। देखते ही देखते इस ट्रेन को एक्सप्रेस बनाने का फैसला लिया गया। पीएम के हरी झंडी दिखाने के कुछ देर पहले ही इसे जन शताब्दी कर दिया गया। यही नहीं गाजीपुर के दिलदारनगर स्टेशन पर एक नया स्टापेज भी बना दिया गया। बावजूद इसके ट्रेन का कोच अब तक इंटरसिटी का ही है। उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

थम नहीं रही कम्प्लेन

-पहले दिन ही पैसेंजर्स ने शिकायत की थी कि न तो कोच की सफाई हो रही है और न ही टायलेट आदि की।

-गंदगी व बदबू के बीच यात्रा करने के लिए यात्री मजबूर हैं।

-ट्रेन बहुत लेट चल रही है, हाल यह है कि मुगलसराय से मंडुवाडीह तक पहुंचने में ट्रेन दो से ढाई घंटे का टाइम लग रहा है।

-ट्रेन का सिर्फ नाम जन शताब्दी किया गया है लेकिन चाल पैसेंजर ट्रेन की तरह ही है।

यह हेडक्वार्टर का डिसीजन है। ट्रेन का नाम चेंज करना और किराया बढ़ाने का निर्णय रेलवे बोर्ड के लेवल पर किया जाता है।

अशोक कुमार, पीआरओ

एनईआर, वाराणसी डिवीजन

प्वाइंट टू बी नोटेड

-6 सेकेंड सीटिंग चेयरकार

-1 एसी चेयरकार

-2 जनरल कोच

-2 एसएलआर