- सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत शासन-प्रशासन के आलाधिकारियों ने दी शहीद को श्रद्धांजलि

- मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों को हर संभव मदद का दिया भरोसा

- तिरंगे में लिपटे अपने लाल का शव देख बिलख पड़े परिजन

- सैन्य सम्मान के साथ हरिद्वार में शहीद जवान की हुई अंत्येष्टि

>DEHRADUN: देश की खातिर सरहद पर आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद दून के लाल व गोरखा राइफल्स के जवान जीत बहादुर थापा को नम आंखों से आखिरी विदाई दी गई। मंगलवार को शहीद की शव यात्रा में जन सैलाब उमड़ पड़ा। हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि हुई। इससे पहले बंजारावाला स्थित उनके आवास पर सुबह सात बजे शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए लाया गया। तिरंगा में लिपटे अपने लाल का शव देख परिजन बिलख पड़े। शहीद की पत्नी रानी अचेत होकर गिर पड़ी। आंसू बहाते हुए अस्वस्थ चल रही शहीद की मां सावित्री देवी ने अपने बेटे की शहादत को नमन किया। शहीद जवान की पांच वर्षीय मासूम बेटी मानवी व दो माह का मासूम बेटा रौनक भी तिरंगे में लिपटे अपने पिता के पार्थिव शरीर को देखकर गुमशुम रहे।

आतंकियों का किया था मुकाबला

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधायक विनोद चमोली, विधायक गणेश जोशी, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल के अलावा शासन-प्रशासन के अधिकारियों ने भी बंजारावाला पहुंचकर शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सीएम ने शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाया और दुख की घड़ी में राज्य सरकार की तरफ से शहीद के परिजनों की हर संभव मदद करने का भरोसा दिया। गोरखा राइफल्स के नायक जीत बहादुर थापा बीती सात जून को जेएंडके के नौगाम सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मुठभेड़ के दौरान गोली व ग्रेनेड के छर्रे लगने के कारण जवान का शरीर छलनी हो गया था। इसी दौरान सेना का एक जवान भी मौके पर ही शहीद हो गया था। लेकिन गंभीर रूप से घायल नायक जीबी थापा को श्रीनगर मिलिट्री अस्पताल के बाद दिल्ली के आरआर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां वे लगातार पांच दिन तक जिंदगी की जंग लड़ते रहे। लेकिन रविवार रात को उन्होंने ट्रीटमेंट के दौरान अस्पताल में ही अंतिम सांस ली।

सोमवार शाम दून पहुंचा था पार्थिव शरीर

शहीद जीबी थापा का पार्थिव शरीर सोमवार शाम दून पहुंचा। मंगलवार सुबह सात बजे अंतिम दर्शन के लिए बंजारावाला स्थित उनके आवास पर उनका पार्थिव शरीर लाया गया। जैसे ही तिरंगे में लिपटा हुआ उनका पार्थिव शरीर उनके आवास पर पहुंचा, परिजन अपने लाल के शव पर बिलख पड़े। इस दौरान यहां मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें भी नम हो गई। सभी ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि देकर भीगी पलकों के साथ आखिरी विदाई दी। गोरखा राइफल्स की सैन्य टुकड़ी ने भी मातमी धुन बजाकर व शीश झुकाकर शहीद जवान को सलामी दी।

दो माह बचे थे रिटायरमेंट में

देश की रक्षा करते हुए सरहद पर शहीद हुए गोरखा राइफल्स का जवान जीत बहादुर थापा पिछले ढ़ाई साल से कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। डेढ़ माह पहले ही उन्होंने कुछ दिन की छुट्टी पूरी करने के बाद अपने ड्यूटी ज्वाइन की थी। बताया जा रहा है कि दो माह बाद ही वे सेवानिवृत्त होने वाले थे।