RANCHI : रिम्स में गुरुवार को रात सर्जरी ओटी में एक आपरेशन होना था। लेकिन मरीज की स्थिति सामान्य थी तो उसका आपरेशन टाल दिया गया। वह भी इसलिए कि एक क्7 साल के उपेंद्र का पैर बचाना ज्यादा जरूरी था। ऐसे में डॉ.अंशुल और उनकी टीम ने तीन घंटे तक आपरेशन कर उसके बाएं पैर की सात सेंटीमीटर मुख्य नस को जोड़ दिया। रिम्स में यह पहला आपरेशन है जब पैर की नस से ही नया वेन तैयार कर जोड़ा गया है। उपेंद्र की स्थिति फिलहाल सामान्य है और उसका इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

कैसे हुई घटना

गया का रहने वाला उपेंद्र ट्रक से रांची आ रहा था। रांची-रामगढ़ रोड में वह ट्रक रोककर कुछ काम कर रहा था। इस बीच ट्रक ब्रेक फेल गया और ट्रक उसके पैर पर चढ़ गया। जिससे कि उसका पैर क्षतिग्रस्त हो गया और मुख्य नस भी कट गई। छह घंटे के बाद लोगों ने उसे रिम्स पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उसे आर्थो में रेफर किया। लेकिन उसकी स्थिति को देखते हुए तत्काल आपरेशन करने का निर्णय डॉक्टरों ने लिया। बताते चले कि उपेंद्र उसी ट्रक में खलासी का काम करता था।

सात सेंटीमीटर कट गई थी पैर की मुख्य नस

पेशेंट का पैर क्षतिग्रस्त और नस कटने की जानकारी कार्डियो वस्कुलर सर्जन डॉ.अंशुल कुमार को दी गई। उन्हें बताया गया कि एक पेशेंट को वस्कुलर इंज्यूरी हुई है। उन्होंने बिना देरी के उसका आपरेशन करने की योजना बनाई। लेकिन सर्जरी ओटी में एक अन्य पेशेंट को आपरेशन के लिए ले जाया जा रहा था। जहां उसकी स्थिति सामान्य थी तो आपरेशन को टाल दिया गया। डॉ.विनय प्रताप के यूनिट के डॉक्टर एक पेशेंट का आपरेशन करने जा रहे थे। इसके बाद डॉ.अंशुल, डॉ। सुधांशु के अलावा अन्य डॉक्टरों ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद उसके पैर के ही वेन को काटकर मुख्य नस को जोड़ने में सफलता हासिल की। चूंकि एक्सीडेंट में मरीज का लगभग सात सेंटीमीटर नस खत्म हो गया था।

म् घंटे बाद बचाना होता है मुश्किल

डॉ.अंशुल ने बताया कि इस तरह के मामलों में छह घंटे के बाद आपरेशन करने का भी कोई फायदा नहीं होता है। लेकिन हमलोगों ने रिस्क लिया और आपरेशन करने की योजना बनाई। ऐसे में उसका पैर कम से कम बेकार तो नहीं होगा। जब उसे रिम्स में लाया गया था तो लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। इसके बाद उसे ब्लड भी चढ़ाया गया।