मिला न्योता
बताया गया है कि कल्कि उन गणमान्य व्यक्तियों के पैनल में शामिल होंगी, जिन्हें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड कैनेडी स्कूल की ओर से आयोजित होने वाली दो दिवसीय इंडिया कॉन्फ्रेंस में बतौर वक्ता बुलाया गया है। इससे पहले आयोजित हुए इस कॉन्फ्रेंस में कमल हासन और शशि थरूर जैसी अहम हस्तियों को आमंत्रित किया गया था।

कल्कि ने शेयर की खुशी  
कल्कि ने खुद को मिलने वाले इस सम्मान को सबसे पहले अपनी ट्रांस कम्युनिटी में शेयर किया है। इस बारे में उनका कहना है कि 1 जनवरी को जब उन्हें ये इन्विटेशन मिला तो वह उसे देखकर खुद भी दंग रह गईं। उनका कहना है कि ऐसा करके उनको एक मौका मिला है अपने ट्रांसजेंडर मूवमेंट इन इंडिया की खूबसूरती से सबको वाकिफ कराने का। उन्होंने बताया कि अब वह अपने इस एतिहासिक आंदोलन के बारे में सबको बताएंगी। इसके साथ ही वह इस बात पर भी रोशनी डालेंगी कि कैसे भारतीय आंदोलन पाश्चात्य सोच से बिल्कुल अलग होते हैं। उन्होंने कहा कि अब वह ट्रांसजेंडर्स के पक्ष में अपनी आवाज को सबके सामने लाएंगी, जो हमेशा इस बड़े समाज के बीच में दबकर रह जाती है।

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हार्वर्ड से मिला ट्रांसजेंडर महिला कल्‍कि को न्‍योता,अब इंटरनेशन प्‍लेटफॉर्म पर करेंगी कुछ खास

किया ये सब भी
प्यार भरे एक परिवार में जन्म लेने के बावजूद कल्कि को अपने अस्तित्व के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी। ये लड़ाई थी उनकी पहचान और लोगों को ये समझाने की कि वह एक महिला हैं। स्कूल के दिनों में अपने सहयोगियों और यहां तक की टीचर्स की भी उपेक्षा की शिकार बनीं कल्कि ने हमेशा इन सब बातों को भूलकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को ज्यादा जरूरी माना। मास कम्युनिकेशन और इंटरनेशनल रिलेशन से डबल मास्टर्स करने वाली कल्कि ने अपने जैसे अन्य ट्रांसजेंडर्स की मदद करने के लिए शाहोदरी फाउंडेशन की शुरुआत की। इसके तहत केरल के Gender-Neutral फुटबॉल लीग में पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर्स ने एक साथ खेल खेला।

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खुद को मानती हैं लकी
कई मायनों में कल्कि खुद को काफी लकी भी मानती हैं। वह कहती हैं कि उनके परिवार ने उनको कभी नजर अंदाज नहीं किया, इस मामले में वह बहुत लकी हैं। उन्होंने उनकी मनचाही पढ़ाई पर खुब खर्चा किया। इस दौरान इन्होंने कोच्चि में शुरू हुए भारत के पहले ट्रांसजेंडर स्कूल के बारे में भी बताया। केरल के अर्नाकुलम जिले के थ्रिक्काकरा में खुले इस स्कूल का नाम सहज इंटरनेशनल है। इसका उद्घाटन खुद इन्होंने अपने हाथों से किया। इस स्कूल के बारे में इन्होंने बताया कि यह सेंटर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के साथ मिलकर काम करता है। उन्होंने कहा कि देश में अपने प्रकार के इस पहले स्कूल के खुलने से उम्मीद है कि उन ट्रासंजेंडर्स को शिक्षा का समान अवसर मिलेगा, जो बीच में पढ़ाई छोड़ देते थे। नए लर्निंग सेंटर से उनको अपनी पढ़ाई जारी रखने और दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा में बैठने में मदद मिली। इस स्कूल को इनकी बहुत अच्छी दोस्त विजयराज मल्लिका ने शुरू किया।

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