- सूबे के राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी की पहल पर रामघाट स्थित मेहता अस्पताल की शुरू हुई OPD, आठ डॉक्टर अभी दे रहे हैं अपनी सेवाएं

- DM ने नारियल फोड़कर शुरू किया अस्पताल, पक्के महाल में रहने वालों को बड़ी राहत

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अपने वक्त में गलियों का एम्स कहा जाने वाला रामघाट स्थित बल्लभराम शालिग्राम मेहता अस्पताल एक बार फिर बुधवार को शुरू हो गया। काफी लंबे वक्त से बंद पड़े अस्पताल की सुध राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने ली थी। जिसके बाद इसे शुरू करने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला जुट गया था। सीएमओ और डीएम के पिछले दिनों अस्पताल का निरीक्षण किया था। इसके बाद सरकारी खर्च पर अस्पताल को फिर से संचालित किए जाने का आदेश हुआ तो बुधवार को डीएम ने नारियल फोड़कर फिर से अस्पताल को शुरू कर दिया। हालांकि अभी अस्पताल में आठ डॉक्टरों संग ओपीडी शुरू हुआ है लेकिन जल्द ही इसे मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने की तैयारी है।

लोगों के लिए है संजीवनी

मेहता अस्पताल रामघाट समेत संकठा जी मंदिर से आगे पंचगंगा घाट और कई इलाकों के लोगों के लिए संजीवनी था। गंगा किनारे बना ये अस्पताल किसी समय अपने आप में अनोखा अस्पताल हुआ करता था। गलियों से पेशेंट को यहां तक लाने के लिए बोट एंबुलेंस का सहारा भी लिया जाता था। तमाम जांच की सुविधा एक साथ यहां मौजूद थी लेकिन रुपयों की कमी और सरकारी फंड के न मिलने के कारण अस्पताल को ट्रस्ट के लोगों को बंद करना पड़ा। हालांकि अब सरकारी खर्च पर ट्रस्ट को ही अस्पताल संचालित करने को कहा गया है। डीएम के मुताबिक अभी ओपीडी शुरू हुआ है और जल्द ही वार्ड शुरू कर इसे प्रॉपर वे में संचालित किया जायेगा।

i next ने चलाया था अभियान

बल्लभराम शालिग्राम मेहता अस्पताल के बंद होने से हो रही क्षेत्रीय लोगों की समस्या और इसे खोलने की मांग को अभियान के तौर पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से अपनी खबर के जरिए चलाया था। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बंद पड़े अस्पताल की ओपीडी को उस वक्त भी शुरू कराया था।

एक नजर में मेहता अस्पताल

- इस अस्पताल का उद्घाटन क्9भ्7 में देश के पहले राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था

- यह अस्पताल उपेक्षा के कारण वर्ष ख्009 में बंद करना पड़ा।

- अब इस अस्पताल को मल्टी स्पेशियलिटी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में स्थापित करने की तैयारी है

- 80 बेड का यह अस्पताल सन् क्98म् से ट्रस्ट द्वारा संचालित है

- जो शहर के दक्षिणी क्षेत्र में गंगा किनारे के सात मुहल्लों (चौक, कोतवाली, आदमपुर, दशाश्वमेध, पक्का महाल, सिद्धेश्वरी, पटनी टोला) के लगभग साढ़े तीन लाख आबादी को राहत देता था।

- अस्पताल में ब्0 वार्ड के साथ एलोपैथ, होमियोपैथ, आयुर्वेद, डेंटल विभाग व फिजियोथेरेपी की सेवायें प्रदान की जाती रही हैं

- अस्पताल के द्वितीय तल पर ब्0 बेड का महिला वार्ड है

- वातानुकूलित सुविधायुक्त 7 वार्ड भी हैं