नंबर गेम

2 सौ से अधिक मोटर ट्रेनिंग स्कूल

5 हजार से अधिक हर माह लेते हैं ट्रेनिंग

2 स्कूलों ने लाइसेंस सरेंडर करने की बात कही

- लाइसेंस के लिए नए नियमों के लागू होने से बंद होने की कगार पर पहुंचे मोटर ट्रेनिंग स्कूल

- राजधानी में दो सौ से अधिक हैं मोटर ट्रेनिंग स्कूल

- इन स्कूलों से हर महीने 5000 लोग लेते थे ट्रेनिंग

LUCKNOW: राजधानी सहित प्रदेश भर में खुले मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की स्पीड बिगड़ने लगी है। लाइसेंस के लिए लागू किए नए नियमों से इनकी ओर लोगों का रुझान कम होने लगा है। राजधानी के दो स्कूलों ने परिवहन विभाग से लाइसेंस सरेंडर करने को कहा है। यही नहीं इन स्कूलों में ट्रेनिंग के लिए आने वालों की संख्या भी कम होती जा रही है। ऐसे में इन स्कूलों के संचालकों के सामने इन्हें चलाने का संकट खड़ा हो गया है और कईयों ने स्कूल बंद करने का फैसला किया है।

खत्म हुई सर्टिफिकेट की अनिवार्यता

केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि सिर्फ साढ़े सात टन और मशीनों को चलाने वाले ड्राइवरों को ही कामर्शियल लाइसेंस बनवाने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट लेना होगा। यह सर्टिफिकेट ऑनलाइन दिया जाएगा और इसकी जानकारी परिवहन विभाग को भी दी जाएगी। जबकि इससे नीचे वाले वाहनों के चालक प्राइवेट लाइसेंस बनवाकर भी वाहन चला सकेंगे। ऐसे में ई रिक्शा, ऑटो, टैम्पो, स्कूली वैन-बस और रेडियो टैक्सी के लिए अब कामर्शियल वाहन की जरूरत नहीं होगी। ऐसे में इनके चालकों को मोटर ट्रेनिंग स्कूलों से जारी होने वाले ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लाइसेंस के लिए जरूरी नहीं होंगे। इन नए नियम के लागू होते ही मोटर ट्रेनिंग स्कूलों से कैंडीडेट गायब होने लगे हैं।

तो अब क्यों लेंगे ट्रेनिंग

स्कूल संचालकों ने बताया कि प्राइवेट वाहन चलाने वाले अपने साथियों और रिश्तेदारों से ही ट्रेनिंग लेकर लाइसेंस बनवाते हैं। इसमें उनका पैसा बचता है। जबकि मोटर ट्रेनिंग स्कूलों में फीस ही पांच हजार रुपए से कम नहीं है। जिस दिन आरटीओ ऑफिस में ट्रेनिंग के लिए मशीनें लग जाएंगी, उस दिन से ये काम पूरी तरह बंद हो जाएगा।

कोट

लाइसेंस के लिए सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म होने से मोटर ट्रेनिंग स्कूल में कैंडीडेट की संख्या कम हुई है। इसी के चलते स्कूल संचालक अब उन्हें चलाना नहीं चाह रहे हैं। कमाई घटने के डर से वे बैकफुट पर आ गए हैं।

गंगाफल

अपर परिवहन आयुक्त, सड़क सुरक्षा

यूपी परिवहन निगम

बाक्स

अभी तक थी यह स्थिति

- अभी ई रिक्शा, ऑटो, टैम्पो, स्कूली वैन-बस और रेडियो टैक्सी के लिए कामर्शियल लाइसेंस तभी बनता था जब आवेदक के पास किसी मोटर ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट हो

- मोटर ट्रेनिंग स्कूलों में सर्टिफिकेट के लिए 7000 रुपए या इससे अधिक भी वसूले जाते रहे हैं

- एक मोटर ट्रेनिंग स्कूल में हर महीने 25 से 30 सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे

- ऐसे में मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की कमाई प्रति माह दो लाख रुपए से ऊपर थी

- अब सिर्फ साढ़े सात टन से अधिक के वाहन को चलाने के लिए ही कामर्शियल लाइसेंस की जरूरत होगी जिसके लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा