PATNA: ऐसे ही एक गंभीर आरोप में पटना पुलिस फंस चुकी हैं। दरअसल कोर्ट ने एक हार्डकोर नक्सली से थाने में जब्त 53 हजार रुपए वापसी का जब आदेश दिया तो तत्कालीन पुलिस अधिकारी ने बताया कि नक्सली से जब्त पैसे चूहे चबा गए। इसके बाद कोर्ट बाद संबंधित अधिकारी का वेतन रोकने का आदेश दिया है।

 

ये है पूरा मामला

पूरा मामला 2002 में घटित फुलवारीशरीफ थाने से संबंधित है। पुलिस ने छापेमारी करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 35 हजार कैश बरामद किया था। जबकि प्रमुख नक्सली आरोपी अजय कानू फरार हो गया था। इस मामले में फुलवारीशरीफ पुलिस ने राम मनोज कुमार, धनबाद, सहजानंद प्रसाद, जहानाबाद, रामराज प्रसाद, धनबाद सहित अज्ञात को आरोपी बनाया था। बाद में पुलिस ने सभी आरोपियों को 29 मई 2002 को जेल भेज दिया था। तीन महीने बाद पुलिस ने नक्सली अजय कानू को गिरफ्तार कर लिया। अजय के पास से 18 हजार 801 रुपए कैश बरामद किया था।

 

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से हो गए थे बरी

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने 19 मई 2010 को सभी चारों अभियुक्त अजय कानू उर्फ रवि कुमार, राम मनोज कुमार, सहजानंद प्रसाद और रामराज प्रसाद को दोषमुक्तकर दिया। साथ ही जब्ती सूची में बरामद सभी सामान कुल कैश 53 हजार 801 रुपए अजय कानू के भाई सहजानंद को वापस करने का आदेश दिया। रिहाई के बाद जब सहजानंद रुपए लेने थाना फुलवारीशरीफ पहुंचा तो पहले कई दिनों तक चक्कर कटाया गया। बाद में पुलिस पदाधिकारी ने कह दिया कि आपके जब्त रुपए चूहे खा गए।

 

कोर्ट ने पैसे लौटाने का दिया आदेश

पीडि़त पक्ष के आवेदन पर कोर्ट ने दोबारा 7 दिसंबर 2017 को पटना के एसएसपी के नाम पत्र जारी किया और निर्देश दिया कि फुलवारीशरीफ थानाध्यक्ष को शो-कॉज कर कोर्ट में रिपोर्ट भेजें। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद जब्त रुपए नहीं लौटाने पर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार ने अपने पत्रांक 12 मार्च 2018 को एसएसपी, पटना के नाम जारी किया और उल्लेख किया की इससे पहले तीन बार आदेश पत्र भेजा गया है.लेकिन पीडि़त को पैसे नहीं मिले। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित थानाध्यक्ष का वेतन रोकने की अनुशंसा के साथ ही न्यायालय को तत्काल सूचना देने के शख्त निर्देश दिए हैं।

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