- चंपारण सत्याग्रह से बीज सत्याग्रह के आगाज के लिए मेरठ में जुटे पर्यावरणविद एवं इतिहासकार

- 2047 तक खेती में कीटनाशक एवं उर्वरकों का इस्तेमाल करेंगे बंद, जैविक खेती करेंगे किसान

Meerut । पर्यावरणविद् डॉ। वंदना शिवा ने कहा कि खेतीबाड़ी में रसायनों के धुआंधार प्रयोग से थाली विष बन गई। सरकारें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चंगुल में खेलती रहीं और किसान विषाक्त रसायनों से अपनी और मिट्टी की सेहत गंवाता रहा। शहीद स्मारक पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक धरती और भोजन शुद्ध नहीं होगा, स्वस्थ भारत खड़ा नहीं होगा।

कार्यक्रम का आगाज

पर्यावरणविद डॉ। वंदना की अगुआई में बीज स्वराज, अन्न स्वराज कार्यक्रम का आगाज गुरुवार को औघड़नाथ मंदिर से किया गया। इतिहासकार डॉ। केके शर्मा, डॉ। अमित पाठक समेत कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं गंगानगर स्थित द एवेन्यू पब्लिक स्कूल के छात्रों ने भी कार्यक्रम में भाग लेते हुए औघड़नाथ मंदिर से शहीद स्मारक तक पैदल मार्च किया।

बदलाव की जरूरत

इतिहासकार डॉ। एसके मित्तल ने लोगों को चंपारण आंदोलन महात्मा गांधी एवं किसानों की भूमिका पर प्रकाश डाला। कहा कि अंग्रेजों द्वारा शोषित किसान गांधी की अगुआई में जाग उठा, जो इतिहास बन गया। इतिहासविद् डॉ। केडी शर्मा ने कहा कि गुजरात के किसानों ने ही वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी थी। सीसीएसयू के पूर्व कुलपति प्रो। रवींद्र कुमार ने कहा कि भारत के इतिहास को नए नजरिए से देखने की जरूरत है। तमाम बड़े लम्हों के साथ न्याय नहीं हुआ है।