कुछ कमी सी है
छह साल पहले जब फिल्‍म तेरे बिन लादेन का पहला भाग आया था तो उसने अपनी इनोवेटिव कहानी और ताजगी से भरे हास्‍य से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया और इसीलिए उसे काफी प्रशंसा भी मिली। नयी फिल्‍म तेरे बिन लादेन डेड और अलाइव को बड़ी खूबसूरती के साथ पिछली फिल्‍म से जोड़ा गया है। वहीं मर चुके आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को भी नयी कहानी में बिलकुल सही तरीके से इस्‍तेमाल किया गया है। फिल्‍म में कई परिस्‍थितियां और संवाद आपको मुंह दबा कर हंसने के लिए विवश भी कर देते हैं पर फिर भी कुछ है जो मिसिंग है।

Movie: Tere Bin Laden: Dead or Alive'

Director: Abhishek Sharma

Cast: Manish Paul, Sikander Kher, Pradhuman Singh, Piyush Mishra

movie review: एक ही जगह घुमाती रहती है 'तेरे बिन लादेन: डेड और अलाइव'

कहानी है भी और....
ओसामा बिन लादेन की हत्या हो चुकी है। अमेरिकी को उसके मरने का वीडियो सबूत चाहिए। और अंतर राष्ट्रीय हथियार विक्रेता खलील (पियूष मिश्रा) को साबित करना है कि ओसामा जिंदा है। इस कोशिश में अमेरिकी सीआईए एजेंट डेविड चढ्ढा (सिकंदर खेर) ओसामा जैसे दिख रहे एक अभिनेता पद्दी सिंह (प्रद्युम्‍न सिंह) के साथ लादेन की मौत के सिक्वेंस शूट करने की प्लानिंग करता है। वह निर्देशक अभिषेक शर्मा (मनीष पाल) को इस काम के लिए चुनता है। यहां पर पिछली फिल्‍म के चरित्र अली जफर के कैमियो की भी एंट्री होती है। यहां से ड्रामा शुरू होता है, जो चंद हास्यास्पद दृश्यों और प्रहसनों के साथ क्लाइमेक्स तक पहुंचता है।

हंसाने के बावजूद उबाती है फिल्‍म
कहानी में झोल नहीं है पर लगता है कि कलाकारों को उनकी भूमिकायें सही तरीके से समझायी नहीं गयी है। कहीं कहीं दृश्‍य कसे हुए नहीं हैं और चुटकलों में दोहराव नजर आता है। यहां से वहां चरित्रों की भीड़ में झूलती कहानी आपको उबा और थका देती है। मनीष पॉल एनर्जेटिक हैं पर उनकी सारी उर्जा काफी दिशाहीन हो गयी है। पियुष मिश्रा भी उलझे हुए लगते हैं। हां सिकंदर खेर को देखना एक रोचक अनुभव है और उनके काम को देख कर भविष्य के लिए काफी संभावनायें नजर आती हैं।

Review by: Shubha Shetty Saha

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