मेक इन इंडिया के तहत पहली बार भारतीय नस्ल पर हुआ सफल प्रशिक्षण

श्वानों की कई विशेषज्ञता मौजूद हैं मुधोल हाउंड श्वान में

Meerut। भारतीय सेना के फोर्स मल्टीप्लायर आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज की ओर से मेक इन इंडिया के अंतर्गत देसी ब्रीड का पहला फौजी श्वान तैयार कर लिया गया है। मुधोल हाउंड नामक इस भावी फौजी श्वान को पिछले एक साल से प्रशिक्षित किया जा रहा है। खास बात यह है कि उसके परिणाम पूरी तरह से सफल रहे हैैं। अब इसकी फील्ड ट्रेनिंग कराई जाएगी और उसके बाद इस पूरी तरह से स्वदेशी और कई विशेषताओं वाले फौजी श्वान के साथ भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।

देशी ब्रीड़ की खूबियां

हाउंड यानी शिकारी श्वानों की प्रजाति में मुधोल हाउंड की खूबियां कहीं ज्यादा हैं। इसमें सूंघने की शक्ति, खोजी प्रवृत्ति, गार्ड डॉग और असॉल्ट डॉग की सारी खूबियां मौजूद हैं। पतला शरीर होने के कारण इसकी चुस्ती इसे और श्वानों से अलग बनाती है। यह घोड़ों की तरह छलांग लगाता है और एंटी किडनैपिंग ड्रिल और वाहनों का पीछा करने में सक्षम है। खोजी दस्तों के साथ एंडुरेंस में यह श्वान लेब्राडोर से कई गुना अधिक दूरी तक बिना रुके जाने में सक्षम है।

ई-कॉलर के इशारे

मुधोल हाउंड की स्पीड को देखते हुए इसे ई-कॉलर से कंट्रोल किया जाता है। यह उपकरण श्वानों के प्रशिक्षण में इस्तेमाल किया जाता है। जिससे उन्हें बिना कोई आवाज किए निर्देश दिए जा सकें। ट्रेनिंग के दौरान इसे हर तरह की परिस्थिति में आजमा कर देखा जा चुका है। सर्च के दौरान यह निर्देशों को जितनी सटीकता से समझता है। इसका एक्शन भी उसी के अनुरूप होता है। अब इसकी फील्ड ट्रेनिंग की तैयारी की जा रही है, जिसमें इसकी ट्रेनिंग फौजी दस्तों के साथ सरहदी क्षेत्रों में होगी।

भूख नहीं करती विचलित

मुधोल हाउंड की एक जरूरी खूबी यह भी है कि इसे भूख विचलित नहीं करती है। खान-पान में जो मिले, वही इसके लिए पर्याप्त होता है। साथ ही देशी प्रजाति होने के कारण आस-पास की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी इसमें दूसरे श्वानों से कही अधिक है।

चल रही ट्रेनिंग

पिछले साल जून महीने में आरवीसी को यह श्वान कर्नाटक सरकार की ओर से तोहफे में दिया गया था। आधा दर्जन श्वानों को सेना के हवाले करते हुए सेना को इनकी क्षमता परखने की सलाह दी गई थी। यह श्वान कर्नाटक के मुधोल जिले में सबसे अधिक पाया जाता है और इसीलिए इसका नाम मुधोल हाउंड पड़ा।