पुलिस की भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल

- 2009 में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद 2011 में पुलिस में हुए भर्ती

- चीता पुलिस के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने पर हुआ खुलासा

DEHRADUN:

दो युवकों पर 2009 में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी 2011 में उनका पुलिस में चयन होना पुलिस की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाने लगा है। दोनों पुलिसकर्मी सगे भाई हैं। यह मामला तब सामने आया जब 16 अप्रैल को चीता पुलिस के साथ कार सवारों के साथ हुई मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

फायरिंग करने का भी है आरोप

16 अप्रैल को बसंतविहार के क्रॉस रोड मॉल पर तीन कार सवार प्रिंस, गौरव और नितिन (तीनों भाई) ने चीता पुलिस के साथ हाथापाई की थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। छानबीन में सामने आया कि हाथापाई करने वाला प्रिंस हरिद्वार और गौरव पीएचक्यू में तैनात है। साथ ही यह भी सामने आया है कि इन दोनों पर ख्009 में हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज है, जो ख्0क्ब् में समाप्त हो गया। अब सवाल यह उठता है कि हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज होने के बाद भी ख्0क्क् में दोनों पुलिस में कैसे भर्ती हो गए। पुलिस भर्ती प्रक्रिया में काफी छानबीन के बाद ही युवक की भर्ती होती है। तो सवाल यह है कि क्या इनकी कोई छानबीन नहीं हुई? और यदि हुई भी तो हत्या के प्रयास का मुकदमा कैसे नजरअंदाज कर दिया गया। साथ ही भर्ती के दौरान दिए गए शपथ पत्र की भी जांच नहीं की गई। गौरतलब है कि इन पर ख्0क्भ् में पटेलनगर क्षेत्र में फायरिंग करने का भी आरोप है। डीआईजी ने अब इस मामले की जांच पुलिस मुख्यालय के एसएसपी कार्मीक को सौंपी है।

- जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें तीनों कार सवार सगे भाई हैं। इसमें से दो पुलिसकर्मी हैं। सामने आया है कि इन पर ख्009 में हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था और ख्0क्क् में इनकी भर्ती पुलिस में हुई। इन की भर्ती किस आधार पर हुई है, इसकी जांच पीएचक्यू स्तर पर होनी है।

स्वीटी अग्रवाल, एसएसपी, देहरादून