- आज भी कोई नहीं समझ पाता मूक बधिर संवासिनियों का दर्द

- साइन लेंग्वेज एक्सपटर््स कर रहे सिर्फ खानापूर्ति

DEHRADUN: करीब ढाई साल पहले मूक बधिर संवासिनी के साथ हुए शोषण के बावजूद नारी निकेतन के हालात नहीं सुधरे हैं। आज भी यहां मूक बधिर संवासिनियों का दर्द कोई नहीं समझ पाता है। इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं इनकी बात समझ नहीं आती। जबकि नारी निकेतन में हुए घटनाक्रम के बाद यहां लेंग्वेज एक्सपर्ट्स सिर्फ इसलिए रखे गए थे ताकि मूक बधिर संवासिनियों की बात समझी जा सके।

नारी निकेतन में नहीं रहना चाहती संवासिनी

15 अप्रैल को नारी निकेतन से वॉशरूम की दीवार फांदकर एक मूक बधिर संवासिनी भाग निकली जो कि 17 अप्रैल को विकासनगर में मिली। आश्चर्य की बात ये है कि संवासिनी के मिलने के तीन दिन बाद तक भी नारी निकेतन प्रशासन उन कारणों का पता नहीं लगा सका है कि आखिर क्यों संवासिनी वहां से भाग निकली। जब इस संबंध में अधिकारियों से सवाल किए गए तो उनका यही कहना था कि मूक बधिर संवासिनी की बात कोई नहीं समझ पा रहा है, बस इतना समझ आ रहा है कि वो यहां से निकल जाना चाहती है। कारण जानने के लिए उसको कॉपी-पैन दिया गया लेकिन वो लिखना नहीं जानती है।

तो क्या बदला ढाई साल में

अजब हाल है ढाई साल पहले जब मूक बधिर संवासिनी के साथ शोषण का सच खुला था तो सरकार ने नारी निकेतन पर फोकस करते हुए यहां साइन लेंग्वेज एक्सपर्ट नियुक्त किए ताकि यदि फिर से कभी संवासिनियों के साथ ऐसी कोई घटना घटती है तो वह साइन लेंग्वेज में उसको बयां कर सकती हैं। इसके बावजूद ये एक्सपर्ट फेल हो गए। शायद यही वजह है कि इस संवासिनी की बात ही कोई नहीं समझ पा रहा है।

दो साल में ये हालात

इस मूक बधिर संवासिनी को नारी निकेतन में दो साल हो गए हैं। क्या दो साल में साइन लेंग्वेज एक्सपर्ट उसकी बात नहीं समझ पाए या फिर उसको अब तक ऐसे कोई साइन ही नहीं सिखा पाए कि वो कुछ बता सके या फिर असलियत अब भी कुछ और है, जिस पर निकेतन प्रशासन पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है।

संवासिनी जब से आई है, उससे बात करने की कोशिश की जा रही है। अब तक एक्सपर्ट्स और बाकी लोग यही समझ पाए हैं कि संवासिनी अपने घर जाना चाहती है लेकिन उसका घर कहां है, वो क्या बता रही है, वो यहां से क्यों बाहर जाने पर जोर दे रही है, ये कुछ समझ नहीं आ रहा है।

- मीना बिष्ट, जिला प्रोबेशन अधिकारी

नारी निकेतन से मूक बधिर संवासिनी क्यों भागी, इस संबंध में अब तक कोई कारण सामने नहीं आ सका है। इस संबंध में अब आयोग की ओर से सीधे संवासिनी से बात की जाएगी। - रमिंद्री मंद्रवाल, सचिव, राज्य महिला आयोग।