शिवसेना को झटका देकर भाजपा ने मारी बाजी
नोटबंदी के बाद देश के सबसे बड़े नगर निकाय चुनाव BMC  इलेक्शन के परिणाम को देखकर भाजपा की बांछें खिल गई हैं। मंगलवार 21 फरवरी को हुए चुनाव में इस बार शिवसेना और भाजपा एक दूसरे के खिलाफ लड़ी हैं। बीएमसी की 227 वार्ड सीटों में शिवसेना ने 84 और भाजपा ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की है। मुंबई निकाय चुनावों में भाजपा ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया है। चुनावी मुकाबले में कांग्रेस को 31 सीटें, राज ठाकरे की ‘मनसे’ (एमएनएस) को सिर्फ 7, एनसीपी 9 और 7 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। भाजपा ने मुंबई में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की 10 में से 8 नगर पालिकाओं पर अपना दबदबा बना लिया है। महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने इस जीत को भाजपा की पारदर्शिता की जीत बताया है।
bmc इलेक्‍शन में भाजपा,शिवेसना ने बाजी मारी लेकिन निगम पर कब्‍जा करना है सबके लिए भारी

यूं बनेगा BMC पर कब्जे का फॉर्मूला
BMC चुनाव में भले ही शिवसेना पहले और भाजपा दूसरे नंबर पर हैं, लेकिन हालत ये है कि अपने दम पर नगर निगम की सत्ता पर काबिज होने की ताकज किसी में नहीं है। खुद को अकेले बीएमसी पर काबिज करने के लिए ही शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ा था, लेकिन अब अगर शिवसेना को सत्ता सुख लेना है तो उसे या तो चिर विरोधी कांग्रेस या पुरानी दोस्त भाजपा से हाथ मिलाना ही पड़ेगा।

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धर्मसंकट में शिवसेना
प्रदेश में निकाय चुनाव के इन परिणामों ने साबित कर दिया है कि भाजपा की पकड़ मुंबई के साथ साथ पूरे महाराष्ट्र में मौजूद है, जैसी विधानसभा चुनाव के दौरान थी। बीएमसी पर काबिज होने के लिए शिवसेना कांग्रेस के साथ जुड़ना नहीं चाहेगी। इस कंडीशन में अगर सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना भाजपा से हाथ मिलाती है। जैसा कि माना जा रहा है तो उसे राज्य विधानसभा में भी देवेन्द्र फडणवीस सरकार को अपना समर्थन जारी रखना होगा। फिर भी अगर उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ न जुड़कर अलग राह चुनते हैं तो BMC से लेकर, महाराष्ट्र सरकार और केंद्र में भी उनका कोई प्रभाव नहीं रह जाएगा।

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