DEHRADUN: दून में एनसीईआरटी की किताबों की किल्लत जारी है। नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होने के 15 दिन बाद भी बाजारों में किताबों का पूरा सेट नहीं मिल पा रहा है। जिससे पैरेंट्स और स्टूडेंट्स ही नहीं दुकानदार भी परेशान नजर आ रहे हैं। एनसीईआरटी की किताबों को लेकर राज्य सरकार और हाई कोर्ट का रुख साफ होने के बाद किताबों की अचानक डिमांड बढ़ गई है।

 

अचानक से बढ़ी डिमांड

राज्य सरकार के एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने के फैसले से जहां पैरेंट्स को राहत मिली है, वहीं बाजार में किताबें उपलब्ध न होने से परेशानी भी बढ़ गई है। पैरेंट्स और स्टूडेंट्स को किताबों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ट्यूजडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किताबों की दुकानों पर पड़ताल की तो पता चला कि मंडे से भीड़ अचानक से बढ़ गई है। अब एक साथ किताबों के पूरे सेट की डिमांड आने लगी है, लेकिन दुकानों में किसी भी क्लास की किताबों का पूरा सेट नहीं मिल पा रहा है। हर क्लास की 1 या 2 किताबें दुकानदारों के पास नहीं है। जिससे पैरेंट्स के साथ दुकानदार भी परेशान हैं। पटेलनगर, डिस्पेंसरी रोड, कोतवाली के सामने हर जगह किताबों की दुकानों पर पैरेंट्स और स्टूडेंट्स की भीड़ नजर आई। इधर, दुकानदारों का कहना है कि किताबों का पूरा सेट न मिल पाने से पैरेंट्स परेशान हैं। राज्य सरकार और हाई कोर्ट का रुख साफ होने के बाद से दुकानों में एक साथ भीड़ जुटने लगी है।

 

क्लास 1 से 8 तक की किताबों के सेट में से कुछ किताबें उपलब्ध नहीं हैं। जिससे स्टूडेंट्स और पैरेंट्स परेशान हैं। किताबों की डिमांड अचानक बढ़ गई है।

राकेश कुमार, भगवती बुक डिपो

 

जैसी सुविधा वैसी फीस

शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए जो एक्ट लाने जा रहा है। उसमें स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस रहेगा। इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर के बाद स्कूल में फैकल्टी और स्कूल का रिजल्ट भी देखा जाएगा। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि ग्रेड तय करने के लिए स्कूलों में सुविधाएं देखी जाएंगी। स्कूलों में दी जाने वाली सुविधाओं में कैंपस, फर्नीचर, पानी, बिजली आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं सबसे जरूरी हैं। इसके बाद फैकल्टी का भी स्कूल की इमेज पर असर पड़ता है। ऐसे में स्कूल का ग्रेड तय करने में फैकल्टी का बड़ा रोल होगा। इधर, प्राइवेट स्कूल भी सुविधाओं के हिसाब से फीस तय करने पर सहमत नजर आ रहे हैं। प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीएस मान ने बताया कि यूपी की तर्ज पर ही उत्तराखंड में भी फीस एक्ट लाना चाहिए। प्राइवेट स्कूल सुविधाओं के आधार पर तीन ग्रेड बनाने की मांग कर रहे हैं।