-2009 में देवी जागरण का लेने गई थी प्रसाद, वहीं से हुई लापता

-आज भी निशा का नाम सुनते ही मां के छलक आते हैं आसूं

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बच्चे का पल भर के लिए आंखों से ओझल होने पर एक मां का ह्रदय व्याकुल हो जाता है। हर कहीं अपने 'लाल' को ढूंढने के बाद भी अगर 'कलेजे का टुकड़ा' ना मिले तो कलेजा फट सा जाता है। पर जब पता चले कि लाल गुमशुदा है तो समूचा परिवार व्याकुल हो जाता है। बरेली में ऐसे ही 55 कलेजे के टुकड़े एक के बाद एक गुमशुदा हो गए। मां बाप जिन्होंने बड़े ही लाड प्यार से बच्चे का नाम रखा उसे सुनते ही मां तो चुप रहती है पर उसकी 'बरसती आंखे' हाल-ए-दिल बयां कर देती हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आपको आज एक ऐसे ही परिवार का हाल बताएगा जिसकी बेटी गुमशुदा है और बेटी को ढूढ़ने के लिए उनके पास फोटो तक नहीं है, ऐसे में उन पर क्या गुजर रही है

2009 में हुई थ्ाी गुमशुदा

सुभाषनगर के जज साहब का आहता निवासी इन्द्र के पांच बेटे और पांच बेटियां हैं। इन्द्र जंक्शन रेलवे स्टेशन पर पोर्टर का काम करते हैं, जबकि उनकी पत्नी रामकली हाउस वाइफ है। रामकली ने बताया कि उनके बेटी पूजा, गंगा, लक्ष्मी और निर्भया है। जबकि उनकी तीसरे नम्बर की बेटी निशा 2009 में गुमशुदा हो गई। तब उसका आज तक कहीं कोई सुराग नहीं लगा। मां रामकली ने बताया कि उनकी सभी बेटियां सांवले रंग की है लेकिन निशा का रंग साफ था। निशा की आंखे बड़ी थी और और जिस दिन वह गुम हुई थी उस दिन वह लाल और हरे रंग की धारीदार शर्ट पहने हुई थी।

छलकने लगी आंखें

-अपना दर्द बयां करते हुए निशां की मां की आंखों में आसूं छलक आए। उन्होंने आसूं पोछते हुए बताया कि बेटा निशा घर 2009 में नवरात्र के दौरान मोहल्ले के रामलीला ग्राउंड में दुर्गा मां का जागरण हुआ था। सुबह को निशा अपने भाई बहनों के साथ मां का प्रसाद लेने गई थी। निशा के सभी भाई बहन तो प्रसाद लेने के बाद वापस आ गए लेकिन निशा आज तक नहीं आई। तब से निशा को देखने के लिए आंखे तरस गईं। उन्होंने कहा कि अब तो निशा को कोई फोटो भी नहीं है जिसे देख सकूं, बचा तो सिर्फ उसका चेहरा जो मेरी आंखों में आज भी है।

मां का बिगड़ गया मानसिक संतुलन

निशा की बहन गंगा ने बताया कि निशा के गुम होने के बाद मां ने काफी समय तक ठीक से खाना नहीं खाया। जिससे वह बीमार हो गई। इसके बाद काफी समय तक पिता इन्द्र ने इलाज कराया तो वह ठीक हो पाई। लेकिन वह अभी भी अक्सर बीमार हो जाती हैं। गंगा ने बताया कि जब निशा गुम हुई तो मां यह कह रही थी कि निशा को कोई स्मैकिया उठा ले गया होगा क्योंकि वह पायल पहने है। पायल निकालकर छोड़ देगा। लेकिन जब निशा नहीं मिली तो मां बदहवास हो गई।

पुलिस ने भी नहीं की मदद

निशा की मां ने बताया कि निशा के गुम हो जाने के बाद उन्होंने थाना पुलिस को तहरीर दी लेकिन पुलिस ने कहा अभी तलाश कर लो। मिल जाए तो अच्छी बात है। नहीं मिले तो आ जाना। इसके बाद वह करीब एक हफ्ता निशा को तलाशने के बाद दोबारा सुभाषनगर थाने पहुंची तो भी पुलिस ने नहीं सुनी। जिसके बाद एसपी सिटी से शिकायत की तो थाना पुलिस ने निशा की गुमशुदगी दर्ज करके पल्ला झाड़ लिया, और निशा को तलाशने के बजाए मुकदमा में एफआर लगा दी।

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