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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) हॉस्पिटल में चल रहे री-कंस्ट्रक्शन के दौरान सुरक्षा नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बिना सेफ्टी बेल्ट और हेलमेट के मजदूर करीब 50 फीट की ऊंचाई पर अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने के लिए मजबूर हैं। मजदूरों के सुरक्षा इंतजाम के रूप में नेट (जाल) वगैरह भी नहीं बिछाया गया है। हालांकि, काम करवा रही अग्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुंशी का कहना है कि मजदूरों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है। उन्हें सेफ्टी बेल्ट और हेलमेट दिए जाते हैं, लेकिन वे इन्हें लेने के इनकार कर देते हैं।

ठेकेदारों की लापरवाही

कुछ दिनों से एमजीएम हॉस्पिटल कैंपस में नए भवन का निर्माण व पुराने भवन का री-कंस्ट्रक्शन हो रहा है। इसके तहत हॉस्पिटल कैंपस के चारों ओर ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही पुराने भवन का री-कंस्ट्रक्शन किया जा रहा है। इन भवनों के निमार्ण कार्य का जिम्मा अग्रवाल नामक कांट्रेक्टर को दिया गया है। जबकि पुराने भवन के री-कंस्ट्रक्शन का जिम्मा तत्कालिन सुपरिंटेंडेंट द्वारा कांट्रेक्टर शिव कुमार राय को दिया गया था। लेकिन इन ऊंचे भवनों के निर्माण कार्य में कांट्रेक्टर्स द्वारा जिन मजदूरों को लगाया गया है। उनकी सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार का कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। यहां कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर ठेकेदारों की लापरवाही और श्रम विभाग के अधिकारियों की उदासीनता देखी जा सकती है।

10 फीट पर जाल लगाने के निर्देश

10 फीट की ऊंचाई पर काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए उसे सेफ्टी बेल्ट लगाने और वहां सेफ्टी नेट लगाने के निर्देश हैं, ताकि हादसा होने पर उनकी जान बच सके। श्रम विभाग भी श्रमिकों की सुरक्षा नियमों का पालन कराने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा। बिल्डिंग के ऊपर व नीचे काम करने वाले मजदूरों को हेलमेट दिया जाने का सख्त निर्देश हैं।

सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना

सुरक्षा नियमों का पालन न करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे कार्य स्थलों का निरीक्षण कर इसकी जांच करें कि श्रमिकों की जान जोखिम में डालकर कार्य तो नहीं कराया जा रहा है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना सहित अन्य तरह की कार्रवाई का प्रावधान है।

जिम्मेदार की देखरेख में कार्य

रूल्स के मुताबिक किसी स्ट्रक्चर को बनाने या उसके जोड़ने या परिवर्तित करने या खोलने के दौरान किसी जिम्मेदार व्यक्ति की उपस्थिति जरूरी है, जो तकनीकी रूप से जानकार हो। किसी इंजीनियर को ही तकनीकी रूप से विशेषज्ञ माना जाता है। लेकिन जो कार्य चल रहे हैं वहां इंजीनियर तो दूर सुपरवाइजर भी नहीं है।

सुपरिंटेंडेंट डॉ अशोक कुमार सिंह से सीधी बात

सवाल : हॉस्पिटल कैंपस में कंस्ट्रक्शन का टेंडर किसे दिया गया है?

जवाब : सरकारी की ओर से भवन निमार्ण कार्य के लिए फंड निर्गत हुआ था। तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट द्वारा कंस्ट्रक्शन कार्य का टेंडर निकाला गया था। टेंडर किसे दिया गया है। यह जानकारी फिलहाल मेरे पास नहीं है।

सवाल : हॉस्पिटल कैंपस में कार्यरत श्रमिकों के सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है?

जवाब : टेंडर होने के बाद श्रमिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी श्रम विभाग एवं संबंधित इंजीनियर की होनी चाहिए।

हमारी ओर से मजदरों को सेफ्टी बेल्ट प्रोवाइड कराया जाता है, लेकिन वे लेने से इंकार कर देते हैं।

-दास बाबू, मुंशी