- जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था के नहीं पुख्ता इंतजाम

- मेडिकल कॉलेज में भी है लचर सुरक्षा व्यवस्था

>Meerut । शहर में कई एकड़ में फैले सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा के इंतजाम निल है। अस्पताल के मुख्यद्वार से लेकर ओपीडी या सरकारी आवास तक सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल नही है। लोगों की बेरोकटोक आवाजाही के चलते यहां कभी भी किसी घटना को आसानी से अंजाम दिया जा सकता है।

यह है हाल

मेडिकल कॉलेज

10 हॉस्टल हैं।

155 एकड़ में फैला है

30 गेटकीपर हैं आउट सोर्स से

24 चौकीदार

3 प्रवेशद्वार है।

146 करीब डॉक्टर्स हैं

2000 करीब स्टूडेंट्स हैं

5 हजार करीब मरीजों की रोजाना आवाजाही है।

21ओपीडी है।

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पी एल शर्मा चिकित्सालय

- 1800 करीब मरीज रोजाना आता है।

- 3 शिफ्ट में 4-4 गार्ड ड्यूटी करते हैं।

- 3 चौकीदार है।

- 2 गेट हैं लेकिन सिंगल गेट एंट्री चालू हैं

- आवाजाही पर कोई रोक-टोक नहीं है।

- 250 करीब स्टॉफ है।

- 16500 स्क्वायर मीटर

-12 ओपीडी है।

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सुरक्षा के इंतजाम नहीं

सरकारी अस्पतालों में पहले भी कई बार हादसे और वारदात हो चुकी हैं। बावजूद इसके, अस्पतालों में हथियार बंद गार्ड तक नहीं हैं। इमरजेंसी की स्थिति में अलर्ट भी नहीं हैें। अस्पताल में कई जगह ऐसी सुनसान हैं जहां कोई वारदात या घटना कभी भी हो सकती है।

तीमारदारों की भीड़भाड़

मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में हर दिन हजारों मरीज आते हैं। यही नहीं मरीजों के तीमारदारों की भी अच्छी खासी तादाद यहां उमड़ती है। किसी भी घटना को अंजाम देने केलिए अपराधियों के लिए यह साफ्ट टारगेट हो सकता है।

सीसीटीवी कैमरे भी नहीं

इन अस्पतालों में पर्याप्त सीसीटीवी कैमरे भी नहीं है। इतने बडे़ अस्पतालों में मुख्य एंट्री गेट पर पर्याप्त कैमरा नहीं है। ओपीडी को कवर करने के साथ ही खुली जगहों को कवर करने के लिए भी कैमरा नहीं लगा है।

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सिक्योरिटी की डिमांड हमने भेजी हैं। इसके अलावा स्टॉफ को भी अलर्ट किया हुआ है। पुलिस गश्त भी लगाती रहती है।

-डॉ। पीके बंसल, एसआईसी, ि1जला अस्पताल

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सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी की डिमांड भेजी है। फिलहाल जो हैं उनसे ही काम चलाया जा रहा है। अपनी तरफ से हम पूरी तरह अलर्ट हैं।

-डॉ। सचिन सिंह, एमएस, मेडिकल कॉलेज