JAMSHEDPUR : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कई विभागों में बेड फुल है। जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बर्न वार्ड में जगह नहीं होने के कारण मरीजों को सर्जरी वार्ड में भर्ती करना मजबूरी है। विभाग में कुल क्0 बेड है, लेकिन किसी तरह क्ब् मरीज को भर्ती किया गया है। वहीं सर्जरी विभाग में भी बेड नहीं होने के कारण फर्श पर बेड लगाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

फर्श पर चल रहा इलाज

हॉस्पिटल के सर्जरी वार्ड में कुल 80 बेड है। लेकिन मरीज 90 भर्ती है। इसमें बर्न और सर्जरी के मरीज शामिल है। क्0 मरीजों का इलाज फर्श पर चल रहा है। परेशानी सिर्फ यही नही। रात के समय मरीजों को अगर कोई परेशानी हुई तो डॉक्टर भी मौजूद नही हैं। रात को कहने को तो सर्जरी वार्डो में कई डॉक्टर की ड्यूटी है मगर ये सभी अपना वार्ड छोड़कर इमरजेंसी में सोते है। पेशेंट के सीरियस होने पर उन्हें कॉल करके बुलाना पड़ता है। ऐसे में रात के समय भर्ती मरीजों की जिंदगी नर्सिग स्टाफ के हाथों में है।

इंफेक्शन का है खतरा

डॉक्टर्स का कहना है कि यहां भर्ती होने वाले बर्न के मरीजों और सर्जरी के मरीजों को क्रास इंफेक्शन का खतरा बना हुआ है। सामान्यत बर्न के मरीजों को आइसोलेट कर अन्य सभी प्रकार के मरीजों से अलग रखने का नियम है। कारण बर्न के मरीजों को इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसके लिए एयर कंडीशन वार्ड जरूरी होता है। दूसरी तरफ जले हुए मरीजों के संपर्क में आने से दूसरे मरीजों को भी क्रास इंफेक्शन का खतरा रहता है। इसलिए मच्छरदानी के अंदर बर्न के मरीजों को रखा जाता है। इंफेक्शन के मामले में सर्जरी और बर्न के दोनों मरीज संवेदनशील होते हैं।

वार्ड में बेड बढ़ाए जाने को लेकर कई बार पत्र लिखा जा चुका है। बेड की कमी होने के कारण मरीजों को सर्जरी वार्ड में रखना मजबूरी है। बर्न वार्ड भी फूल है। डॉक्टर्स की भी कमी है।

डॉ। ललित मिंज, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जन, एमजीएम हॉस्पिटल