जिला अस्पताल से बिना इलाज रोजाना लौट रहे कई मरीज

एंटी रैबिज वैक्सीनेशन न मिलने से परेशान है सैंकड़ों मरीज

Meerut। अगर आप के क्षेत्र में कुत्तों का आतंक हैं तो जरा संभल कर रहें, इनका काटना आप की सेहत पर भारी पड़ सकता है। वजह है शहर के जिला अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त एंटी रैबीज की दवा नहीं हैं।

यह है स्थिति

जिला अस्पताल में पिछले एक महीने से एआरवी के लिए मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। दरअसल, मौसम बदलने की वजह से कुत्तों में काटने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। ऐसे में पिछले दो महीने में अस्पताल में कुत्तों के काटने वाले मरीजों की संख्या भी ज्यादा हो गई हैं। अस्पताल में रोजाना 200 से 250 मरीज पहुंच रहे हैं लेकिन एआरवी मात्र 50 से 70 मरीजों को ही मिल पा रही है। जबकि अन्य मरीजों को बिना इलाज ही वापस जाना पड़ रहा है।

आधार कार्ड जरूरी

जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए आधार कार्ड दिखाना जरूरी है। दरअसल, जिला अस्पताल में सिर्फ शहर से आने वाले रोगी ही वैक्सीन लगवा सकते हैं। सीएचसी या पीएचसी से आने वाले मरीजों के लिए यहां वैक्सीन की कोई सुविधा नहीं हैं। अधिकारियों का कहना है कि सीएचसी व पीएचसी पर सीएमओ से वैक्सीन की व्यवस्था की जाती है।

यह है जरूरी

अगर कुत्ते ने काट लिया है तो काटे जाने के 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए।

घावगहरा नहीं हो तो उसको साबुन से कम से कम पंद्रह मिनट तक अवश्य धोएं।

घाव अधिक गहरा हो तो तुरंत ही चिकित्सक की सलाह पर घाव की साफ-सफाई करें।

घरों में पालतू कुत्तों को एंटी रेबीज का टीका जरूर लगवा लें।

किसी भी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो रेबीज का खतरा हो सकता है।

बंदर, सियार, गीदड़ व सुअर आदि के काटने से रेबीज होने का खतरा रहता है।

कुत्ते द्वारा काटने पर एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाने के लिए डॉक्टर परेशान करते हैं। कई-कई दिन चक्कर लगवा देते हैं लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलता।

फरहान, मरीज

यहां बहुत मारामारी है। दूर से आने वाले मरीजों को तो छोड़ ही दीजिए यहां तो आसपास के मरीजों को भी दवा नहीं मिल रही है।

रौनक, मरीज

हमने दवाओं के लिए इंडेंट भेजा है। अभी भी मरीजों को पर्याप्त वैक्सीन दी जा रही है। आधार कार्ड देखना जरूरी है क्योंकि दवाएं सीमित होती है व दूर के रोगियों के लिए हैल्थ पोस्ट पर वैक्सीन की व्यवस्था होती है।

डॉ। पी.के बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल