-डॉक्टर्स अब पेशेंट्स की पर्ची पर दवाओं के जेनेरिक नाम ही लिखेंगे --MCI की नई गाइड लाइन का IMA बनारस ब्रांच ने किया स्वागत

VARANASI

पेशेंट्स के हित को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक नई पहल की है। इसके तहत डॉक्टर्स को निर्देशित किया गया है कि वह अब पेशेंट्स की पर्ची पर दवाओं के जेनेरिक नाम ही लिखेंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनारस ब्रांच ने मंत्रालय के इस सर्कुलर का स्वागत किया है। पहले डॉक्टर्स यदि कोई ब्रांडेड दवा लिखते थे तो मरीजों को वह दवा हर मेडिकल स्टोर्स पर नहीं मिल पाती थी। जिससे उन्हें काफी परेशान होना पड़ता था। ऐसे में अब जेनेरिक दवाएं लिखने से वह हर मेडिकल स्टोर्स पर अवेलेबल होंगी और सस्ती भी मिलेंगी।

कैसे करते हैं डॉक्टर्स खेल

डॉक्टर्स जेनरिक दवाएं कम और ब्रांडेड दवाएं ही अधिक लिखते हैं। पर्ची पर लिखावट भी कुछ ऐसी होती है कि उनके सेट मेडिकल स्टोर्स वाले ही दवाएं समझ पाते हैं। जो कि काफी महंगी होती हैं। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर किसी को बुखार है, तो डॉक्टर पैरासिटामाल (फॉर्मूला) लिख सकता है। लेकिन वह ब्रांडेड दवा जैसे क्रोसीन, कैलपाल का नाम लिखता है। जो कि जेनरिक दवाओं की तुलना में काफी महंगी होती हैं।

क्या होती है जेनरिक दवा

कोई भी दवा कंपनी जब किसी दवा को बनाती है, तो उसका एक फॉर्मूला होता है। जिसे शुरुआत के ख्0 साल पेटेंट मिला होता है। यानी वह दवा केवल वहीं कंपनी बना सकती है, जिसने उसे ईजाद किया है। हालांकि ख्0 साल बाद इस दवा का फॉर्मूला पब्लिकली हो जाता है। तब इस दवा को कोई भी कंपनी बना सकती है। जिसे जेनरिक कहा जाता है। फॉर्मूला पब्लिकली होने की वजह से यह दवा कई गुना सस्ती हो जाती है। केंद्र सरकार यहीं चाहती है कि जो दवाएं पेटेंट नहीं हैं, उनको जेनरिक के जरिए डॉक्टर पर्ची पर लिखें। जिससे लोगों को सस्ती दवाएं मिल सकें।

बोर्ड के इस सर्कुलर का आईएमए स्वागत करता है। बशर्ते तीन शर्ते भी रखी हैं। पहला यह कि दवा की क्वालिटी, दूसरा किस कंपनी ने तैयार किया है और तीसरा दवा की उपलब्धता सुनिश्चित हो।

डॉ। कार्तिकेय सिंह, सेक्रेटरी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

बनारस ब्रांच