स्लग: मैट्रिक-इंटर रिजल्ट खराब होने के बाद सरकार ने लागू किया नया नियम

-75 परसेंट अटेंडेंस पर ही परीक्षा की परमिशन

-एग्जाम से पहले होगा टेस्ट, 33 परसेंट लाना होगा मा‌र्क्स

-जैक को सीबीएसई मॉडल लागू करने का भी निर्देश

RANCHI(31 July): मैट्रिक व इंटर का रिजल्ट खराब आने के बाद सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स की अब आठवीं क्लास में भी बोर्ड एग्जाम लेने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। यह परीक्षा भी जैक द्वारा ली जाएगी। वहीं, अब 7भ् परसेंट अटेंडेंस पर ही आठवीं, मैट्रिक या इंटर की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिलेगी। साथ ही परीक्षाओं से पहले टेस्ट भी होगा, जिसमें मिनिमम फ्फ् परसेंट मा‌र्क्स लाना पड़ेगा। यह टेस्ट दिसंबर फ‌र्स्ट वीक में होगा। इस संबंध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सेक्रेटरी आराधना पटनायक ने सोमवार को तमाम डीसी को आदेश जारी कर दिया है। वहीं, जैक के अध्यक्ष को भी लेटर भेजकर परीक्षाओं में सीबीएसई मॉडल अपनाने का निर्देश दिया गया है। दरअसल, इस साल मैट्रिक व इंटर में रिजल्ट खराब होने के बाद तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने इसकी अनुशंसा की थी। सचिव ने कमेटी की अधिकतर अनुशंसाओं को लागू करने का आदेश दिया है।

अब हाई व प्लस टू स्कूल भी दो बजे तक

इसके अलावा अब प्राइमरी की तरह सरकारी हाई स्कूल व प्लस टू स्कूलों में भी सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक ही क्लासेज चलेंगी। वर्तमान में इन स्कूलों का समय सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक है। नय टाइम टेबल के अनुसार, स्कूल में पढ़ाई के बाद बच्चों को घर में भी पढ़ाई का पर्याप्त समय मिलेगा। इसके अलावा मैट्रिक व इंटर परीक्षा में शामिल होने के लिए परीक्षा फार्म जिला शिक्षा पदाधिकारियों के माध्यम से जैक को भेजे जाएंगे। सचिव ने परीक्षा में सुधार के लिए विभाग की स्वीकृति लेकर नियम में आवश्यक संशोधन करने का भी निर्देश दिया है। सचिव ने वार्षिक परीक्षा का आयोजन फरवरी की बजाय अब मार्च फ‌र्स्ट में लेने का निर्देश दिया है, ताकि बच्चों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

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वित्त रहित स्कूलों को ना

सचिव ने वित्त रहित स्कूलों को स्थापना अनुमति की प्रक्रिया पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है। दरअसल, समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि स्थापना अनुमति प्राप्त स्कूलों का रिजल्ट संतोषजनक नहीं है। विभाग ने माना कि चूंकि सरकारी स्तर पर ही पर्याप्त संख्या में सरकारी स्कूल खुल गए हैं, इसलिए नए स्कूलों को स्थापना अनुमति देने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाई जानी चाहिए।