PATNA: वो दिन दूर नहीं जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) के स्टूडेंट्स भी आयुर्वेद का पाठ पढ़ेंगे। क्क्वीं और क्ख्वीं क्लास के सिलेबस में इसे शामिल किया जाएगा। हालांकि, यह सब नए सत्र से लागू किया जाएगा। यह निर्णय लिया गया है सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) की बैठक में, जो चंद दिनों पहले हुई थी। काउंसिल के सदस्यों की मानें तो स्कूलों में आयुर्वेद पद्धति को लागू करने को लेकर चर्चा हुई थी। जानकारों का मानना है कि इस योजना पर सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है, लेकिन अभी आदेश जारी होना बाकी है। वहीं, एक्सपर्ट का मानना है कि स्कूलों में आयुर्वेद पद्धति को पढ़ाने का नियम लागू हो जाता है तो आयुर्वेद के क्षेत्र में स्टूडेंट्स की संख्या के साथ स्कोप भी बढ़ेगा।

- क्या होगा फायदा

वर्तमान में बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जन में प्रवेश के समय स्टूडेंट्स की संख्या बहुत कम रहती है। कारण है कि इस क्षेत्र में ज्यादा स्कोप नहीं है। लेकिन स्कूलों में आयुर्वेद पद्धति की पढ़ाई शुरू होने के बाद स्टूडेंट्स में रूचि बढ़ेगी। इसके बाद बीएएमएस कोर्स में स्टूडेंट्स की संख्या में इजाफा भी होगा।

- दो भाषा में होगी पढ़ाई

सीबीएसई स्कूलों में लागू होने वाले आयुर्वेद का सिलेबस आयुर्वेद ज्ञान भारतीय प्रथाओं व संस्कृतियों के साथ दर्शन पर आधारित होगा। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में उपलब्ध होगा। जानकार बता रहे हैं कि आदेश जारी होने के बाद हिन्दी और अंग्रेजी किताब को लेकर काम किया जाएगा।

- अभी क्या हो रहा है

वर्तमान में कोई भी स्टूडेंट आयुर्वेद पद्धति की पढ़ाई क्ख्वीं पास होने के बाद कर सकता है। कुल साढ़े पांच साल तक कोर्स चलता है। इसमें साढ़े चार साल तक पढ़ाई होती है। इसके बाद एक साल तक इंटर्नशिप कराया जाता है। इसके बाद ही उनको डिग्री दी जाती है। लेकिन नए सत्र से इस नियम में बदलाव होने के बाद क्लास क्क् व क्ख् से ही आयुर्वेद के बारे में जानकारी मिलने लगेगी।

सीसीआईएम के मेम्बर्स ने सीबीएसई स्कूलों में आयुर्वेद पद्धति की पढ़ाई शुरू करने को लेकर चर्चा की है। अभी सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। आदेश होना बाकी है। स्कूलों में यह कोर्स शुरू होने से आयुर्वेद पद्धति में स्टूडेंट्स की संख्या और स्कोप दोनों में बढ़ोतरी होगी।

- डॉ। राकेश पांडेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन