कहनी : संवेदना, प्रेम और हमारी जिन्दगियों से चुराई कहानी

ये फिल्म देख के मैं काफी देर तक गहरे चिन्तन में डूब गया, अपनी ज़िंदगी मे झांका तो ऐसा लगा जैसे अपनी ज़िंदगी से चुराए हुए सीन देख रहा हूं। ऐसा ऑलमोस्ट हर एक इंसान के साथ होता है। किसी न किसी से जिन्दगी में दर्द का रिश्ता बन ही जाता है। इस फिल्म की सधी हुई और अनुभव से लिखी गई कहानी इसका हाई पॉइंट है।

समीक्षा

बड़े दिनों बाद कोई ऐसी फिल्म आती है जो आपके इमोशन्स के साथ तारतम्य बनाते हुए आपको एक जीवंत कहानी लगती है। कहानी का पहला हिस्सा तो इतना अच्छा लिखा हुआ है और फिल्म की रिसर्च भी बहुत अच्छी है। आर्ट डायरेक्शन तो काबिल ए तारीफ है, इन्ही सब फैक्टर्स के चलते फिल्म से आप कनेक्ट कर सकते हैं। अब आते हैं इसकी सिनेमाटोग्राफी पर जो बेहद अच्छी है और इस कारण से ये फिल्म लीक से हटकर दिखती है। उजले होटल्स के अंधियारे कोनों में रची बसी इस फिल्म की लाइटिंग टीम भी चमक कर उभर के आती है।

क्या नहीं आया पसंद

एक समय पर फिल्म ऑडियंस को मैनिपुलेट करने की कोशिश करती है, कुछ हिस्से बरबस रुलाने के लिये ही बनाये गए हैं। फिल्म कहीं-कहीं पर स्लो हो जाती है और फिल्म 15 मीनट छोटी होती तो बेहतर होती।

एक्टिंग

ये फिल्म वरुण धवन का अब तक का सबसे बैलेंस्ड किरदार है और बेहद सटल तरीके से उन्होंने उसे निभाया है। उनका एक-एक एक्सप्रेशन परफेक्ट है। ऐसा लगता ही नहीं कि वो एक्ट कर रहे हैं, वो इतने अंदर तक अपने किरदार में हैं। बनिता संधू का काम भी अच्छा लगा पर उनके किरदार को अगर बेहतर फ्लेशआउट किया होता तो बेहतर होता। बनिता ने अपनी आंखों से एक्ट किया है और अपने रोल को बिलिवेबल बनाती हैं।

वर्डिक्ट

कुलमिलाकर ये नीष ऑडियंस के लिए बनी फिल्म है। ये फिल्म सही मायनों में अच्छी सिनेमा में आती है। हां ये फिल्म एंटरटेनमेंट वैल्यू पे लो जरूर है पर फिल्म आपको पसंद आये ऐसे चान्सेज 50-50 हैं। ओवरआल फिल्म अच्छी है।

रेटिंग : 4 स्टार

Yohaann Bhaargava

Twitter : yohaannn

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