गौरवशाली

जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी

शौर्य गाथा को देखने एक बार जरूर आएं

- आजादी के इतिहास की जीवंत कहानी बता रहा राजकीय संग्रहालय

- सभ्यताओं की अनमोल कहानी भी बयां कर रहा संग्रहालय

विश्व संग्रहालय दिवस आज

मेरठ। जंग-ए आजादी की कहानी, संघर्षो की गाथा और उम्मीदों के नई सुबह की ललक जी हां राजकीय संग्रहालय कुछ ऐसी ही कहानियों को लोगों के दिलों में रचा-बसा रहा है। स्वाधीनता के स्वर्णिम इतिहास को अपने आगोश में समेटे राजकीय संग्रहालय हर किसी के लिए प्रेरणापुंज बनता है तो दूसरी ओर गौरवशाली गाथा का साक्षात गवाह। मेरठ का राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय भी आजादी के उन रणबांकुरों की याद दिलाता है। जो जंग ए आजादी के लिए हंसते-हंसते कुर्बान हो गए थे। गौरवपूर्ण इतिहास को जानने समझने के लिए एक बार जरूर संग्रहालय जाएं। ताकि आने वाली पीढि़यां आजादी के परवानों से देशभक्ति की प्रेरणा ले सकें।

क्रांति की पटकथा

मेरठ स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में जंग ए आजादी के उन लम्हों का जिक्र है जब आजादी की लहर समूचे हिंदोस्तान को नए भारत का स्वप्न दिखा रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए 10 मई 2007 को राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय का लोकार्पण किया गया।

राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक

संग्रहालय में तीन नई वीथिकाएं आजादी के हर उस इतिहास से रूबरू कराती हैं जो आजादी के इतिहास का जीवंत गवाह बना है। संग्रहालय में फांसी का दृश्य, 14 से 20 सितंबर 1857 को दिल्ली में विद्रोह, कानपुर के सतीचौरा घाट का विद्रोह, रानी लक्ष्मीबाई की लड़ाई को रिलीफ और पेटिंग के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इतिहास की गौरवगाथा को देखकर लोग भावविभोर हो जाते हैं।

10मई 1857 का वो दिन

संग्रहालय में 10 मई 1857 में मेरठ की घटनाओं को प्रदर्शित किया गया था। जो देश के अमर शहीदों को समर्पित हैं। स्वंतत्रता संग्राम की गाथाओं में बैरकपुर से लेकर मेरठ तक की घटनाओं को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। सभ्यता से लेकर आजादी के संग्राम तक की कहानी राजकीय संग्रहालय बखूबी लोगों को दिखा रहा है।

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समूचे विश्व में संग्रहालय वो प्रकाश पुंज है जिससे हमारा अतीत रोशन होता है, हम उसी अतीत को संवारने का काम कर रहे हैं।

डॉ। मनोज गौतम, संग्रहालयाध्यक्ष