-मरीजों की रिपोर्ट उसी दिन देने की थी प्लानिंग

-10 लाख की लागत से बनी थी लैबोरेटरी

LUCKNOW: संजय गांधी पीजीआई के ओपीडी में आने वाले मरीजों को लैबोरेटरी बनने के बावजूद उसी दिन जांच रिपोर्ट मिलने की सुविधा नहीं मिल पा रही है। सिर्फ मशीने ट्रांसफर होनी थी, लेकिन अब अस्पताल प्रशासन कह रहा है कि वहां पर 140 बेड का विस्तार होना है। दूसरी तरफ प्रशासन बेड बढ़ाने को भी तैयार नहीं है। गौरतलब है कि हजारों की संख्या में प्रदेश और दूसरे प्रदेशों से मरीज आते हैं और सिंपल टेस्ट की रिपोर्ट के लिए उन्हें अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है।

10 लाख से बनाई लैब

संस्थान प्रशासन के अनुसार ओपीडी मरीजों की तुरंत जांच के लिए लगभग दस लाख से अधिक की लागत से लैब बना दी गई। अब इसमें केवल मशीनों को ही शिफ्ट किया जाना बाकी था, लेकिन प्रशासन अब उसी एरिया में 140 बेड का विस्तार करने की बात कह रहा है। अधिकारियों के अनुसार मरीजों को लैब में आना भी एलाउ नहीं होता। जबकि कलेक्शन सेंटर से सैंपल न्यूमेटिक सिस्टम(पाइप) से सैंपल लैब में जाता है। संस्थान केवल सर्विस देने से बचने के लिए अब बहाने बना रहा है। प्रशासन ने भी पिछले वर्ष कहा था कि इससे फायदा मिलेगा। मरीज निजी पैथोलाजी के शिकंजे से बचेंगे, लेकिन मरीज को आज भी इमरजेंसी में जांचे प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर्स पर ही करानी पड़ रही है। संस्थान की रिपोर्ट के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। स्पेशलिस्ट्स के अनुसार बीमारी की सही डायग्नोसिस के लिए कुछ सिंपल टेस्ट से ही जानकारी मिल जाती है। जो तुरंत हो जाने चाहिए। पिछले वर्ष संस्थान ने भर्ती मरीजों के लिए 24 घंटे लैबोरेटरी खोली थी। उसी के साथ ही ओपीडी मरीजों को भी 24 घंटे की सुविधा देने की बात हुई थी। जिसके लिए ओपीडी एरिया में लैब बनाई गई, लेकिन अब यह फिर खत्म करने की प्लानिंग है।

जांच के लिए बहाने बाजी

डॉक्टर्स ने बताया कि ड्रग लेवल की जांच तो पुरानी लैब में ही होनी है। फिर भी 24 घंटे की सुविधा ओपीडी मरीजों को नहीं दी जा रही है। दूसरे प्रदेशों से आने वाले मरीजों को अगले दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। ट्रांसप्लांट के मरीजों में ड्रग लेवल के आधार पर दवा की डोज तय होती है। ओपीडी जांच सेवा शुरू होने के बाद उसी दिन इम्यूनोसप्रेसिव सहित दूसरी दवाओं के लेवल की रिपोर्ट मरीजों को दी जाए। गौरतलब है कि इम्यूनोसप्रेसिव लेवल की जांच प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर्स में चार से पांच हजार रुपये में होती है। जबकि पीजीआई में 15 सौ में जांच हो सकती है।

कोट-

ओपीडी में जांच के लिए स्पेशल कलेक्शन सेंटर बनाना पड़ेगा। इसके लिए संभावनाएं तलाशी जार ही हैं। लैब शुरू करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रो। राकेश कपूर, डायरेक्टर, एसजीपीजीआई