RANCHI: राज्य के सबसे पड़े हास्पिटल रिम्स में मरीजों को बीमार करने का पूरा जुगाड़ है। जिससे कि यहां आने वाले मरीज ठीक होने की बजाय बीमार हो जाएंगे। चूंकि हास्पिटल के वार्ड में मरीजों का इलाज चल रहा है वहीं हास्पिटल के बाहर मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में मरीजों को डेंगू मलेरिया होने का भी खतरा बढ़ गया है। इतना ही नहीं, हास्पिटल के दर्जनों ड्रेन होल्स भी खुले हुए हैं। वहीं कई जगहों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। जहां मच्छरों की पैदावार से इन्कार नहीं किया जा सकता। साथ ही ये ओपेन ड्रेन होल्स हादसों को भी दावत दे रहे हैं। मच्छरों ने हास्पिटल में मरीजों का जीना मुहाल कर रखा है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन मामले को लेकर गंभीर नहीं है।

सुपर स्पेशियलिटी पर नहीं है ध्यान

मेन बिल्डिंग में पहले से ही दर्जनों ड्रेन होल्स खुले हुए हैं। जिसे लेकर प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई। अब सुपरस्पेशियलिटी कैंपस में बने होल्स को कवर नहीं किया गया है। जहां हास्पिटल की गंदगी के अलावा बारिश का पानी भी जमा हो रहा है। जाम होने के कारण पानी की भी निकासी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा रास्तों के बीच में बने होल्स भी ओपन है और हादसों को दावत दे रहे है। कई बार इन होल्स में गाडि़यां भी फंस चुकी है।

सफाई पर फ् करोड़ से अधिक खर्च

हास्पिटल में सफाई पर सालाना तीन करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जाते हैं। जिसका काम अन्नपूर्णा यूटीलिटीज सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। एजेंसी हास्पिटल के वार्डो से लेकर कैंपस और डॉक्टर्स कालोनी में सफाई देखती है। लेकिन वार्डो और कुछ एरिया को छोड़कर एजेंसी भी सफाई में लापरवाही बरत रही है। साफ जगहों पर ही बार-बार सफाई कराई जाती है जबकि कचरे वाले जगहों पर स्टाफ्स देखने भी नहीं जाते है।

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दिन में तो मच्छर नहीं रहते है लेकिन शाम होते ही लगता है जैसे इंतजार में बैठे हों। इतने बड़े हास्पिटल में मच्छरों से निपटने के लिए कुछ तो करना चाहिए। न तो हास्पिटल में दवा का छिड़काव होता है। और न ही कोई लिक्विड डालकर सफाई की जाती है। अगर सफाई के समय ही छिड़काव कर दिया जाता तो इतने मच्छर नहीं आते।

राजू

मच्छरों का आतंक बहुत है। यहां तो हमलोग किसी तरह कॉयल जलाकर तो रह लेते है। लेकिन मरीजों को तो और परेशानी होती है। यहां तो मच्छरदानी भी नहीं मिलता है। सदर हास्पिटल में तो मरीजों को मच्छरदानी दिया जाता है। दिन के बाद तो वार्डो में सफाई भी नहीं होती है। इसका ध्यान रखने की जरूरत है।

पुष्पा

हास्पिटल में इतने मरीज आते है। फिर भी कई जगह पर गंदगी है। सफाई नहीं कराने के कारण मच्छर आते है। आसपास साफ सफाई रहता तो मच्छर इतना नहीं होते। डॉक्टरों को तो इससे कोई मतलब नहीं होता है। फिर मरीजों को मच्छर काटे तो भी क्या फर्क पड़ता है।

सवित्री

मरीजों की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन को चिंतां नहीं है। अब हमलोग इलाज कराने आए और मच्छर काट रहे है। अगर ऐसा ही रहा तो मलेरिया तो हो जाएगा। दवा का छिड़काव कराने से मच्छर नहीं होते। नाली भी खुला हुआ है तो मच्छर तो आएंगे ही।

सुरेंद्र

वर्जन

सफाई वाले को तो हर जगह सफाई करने को कहा गया है। ड्रेनेज का काम तो पीएचइडी देखता है उन्हें भी बुलाया गया था और काम दुरुस्त करने को कहा गया है। खुले हुए ड्रेनेज को जल्दी ही बंद करा दिया जाएगा।

-डॉ गोपाल श्रीवास्तव, डीएस, रिम्स