reality check

- जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज से रिलीव हुए डॉक्टर ने नहीं किया ज्वाइन

- एकमात्र एनेस्थिसिया एसआईसी ने ली एक हफ्ते की छुट्टी तो इलाज की भी हो गई 'छुट्टी'

- सीएम के आदेश के बाद भी सीएम के शहर में नहीं बदली स्वास्थ्य व्यवस्था

GORAKHPUR: सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने और हर गरीब तक पहुंचाने का आदेश तो दिया है लेकिन धरातल पर इसका असर दिखना अभी बाकी है। शुक्रवार को दैनिक जागरण- आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब सीएम के आदेश के बाद जिला अस्पताल में हुए बदलाव की रिएल्टी चेक किया तो तस्वीर हैरान कर देने वाली थी। सीएम के शहर में ही मरीज बेड पर बेहाल पड़े हैं और उन्हें इंतजार है कि डॉक्टर आएंगे और उनका ऑपरेशन होगा। एनेस्थिसिया के एकमात्र डॉक्टर खुद एसआईसी एक हफ्ते की छुट्टी पर हैं तो मेडिकल कॉलेज से जिला अस्पताल में रिलीव हुए डॉक्टर ने ज्वाइन ही नहीं किया है। ऐसे में बेड पर पड़े-पड़े मरीज कराह रहे हैं और उनकी हालत देखकर तीमारमार तड़प रहे हैं।

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हड्डी टूट गई है, पैसे खत्म हो गए हैं

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे ऑर्थो वार्ड पहुंचा जहां एक दर्जन पेशेंट एडमिट हैं। जैसे ही कैमरे का फ्लैश चमकता है, तीमारदारों की आंखें चमक उठती हैं कि शायद कोई उनकी सुध लेने आ गया। वे खुद ही अपना दर्द बयां करने लग जाते हैं। बिहार निवासी धीरेन्द्र यादव बताते हैं कि पैर फ्रैक्चर है। हड्डी टूट गई है जिसका ऑपरेशन किया जाना है लेकिन 8 दिन से ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं। कोई बताने वाला नहीं कि कब ऑपरेशन होगा। मजदूरी कर परिवार का पोषण करता था, जो पैसे पास बचे थे, सब खत्म हो गए। साथ में पत्‍‌नी और बच्चे यही हैं।

कोई नहीं सुन रहा, कुछ जुगाड़ लगा दीजिए

झंगहा निवासी अवधेश गौड़ ऑर्थो वार्ड में 11 दिनों से एडमिट हैं। बताते हैं कि साइकिल से जा रहे कि बाइक ने टक्कर मार दी। पैर टूट गया। घर वालों ने जिला अस्पताल में एडमिट कराया। पैर का ऑपरेशन होना है लेकिन कोई नहीं सुन रहा। पता नहीं कब ऑपरेशन होगा। रिपोर्टर ने जब अवधेश को यह बताया कि अभी एनेस्थिसिया के डॉक्टर छुट्टी पर हैं तो कहने लगे कि साहब, कुछ जुगाड़ हो तो लगा दीजिए। कुछ पैसे भी दे दूंगा, लेकिन किसी तरह ऑपरेशन करा दीजिए।

2 दिन से बेहाल, पैर में डालना है रॉड

गोरखपुर निवासी आलोक का 2 दिन पहले एक्सीडेंट हो गया। घर वालों ने एडमिट करा दिया। पैर टूट चुका है। ऑपरेशन कर रॉड डालना है। डॉक्टर साहब के आने का इंतजार है लेकिन कोई बता नहीं रहा कि वे कब आएंगे। जब रिपोर्टर ने आलोक को बताया कि डॉक्टर साहब तो छुट्टी पर हैं तब आलोक अवाक रह गए। कहने लगे कि अब कब तक इस हाल में बेड पर पड़े रहें। अब तो लगता है कि गोरखनाथ अस्पताल ही जाना पड़ेगा लेकिन इस हाल में जाना भी मुश्किल है।

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क्यों हुई ऐसी हालत

जिला अस्पताल में एनेस्थिसिया के विशेषज्ञ डॉ। एचआर यादव हैं। लेकिन वे एसआईसी भी हैं, लिहाजा प्रशासनिक कार्यो से फुरसत नहीं मिलती कि मरीजों को देख पाएं। इधर, वे भी छुट्टी पर चले गए। वहीं, मेडिकल कॉलेज से राकेश चतुर्वेदी को जिला अस्पताल रिलीव किया गया है लेकिन उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया है। ऐसे में अस्पताल बिना एनेस्थिसिया के हो गया है और बगैर एनेस्थिसिया के कोई ऑपरेशन नहीं किए जा सकते। सारे ऑपरेशन पेंडिंग में हैं।

इन वार्ड में इतने पेशेंट

इमरजेंसी -----20

मेल ऑर्थो ----18

फिमेल ऑर्थो ---20

बर्न वार्ड-------10

जेई आईसीयू --- 5

चिल्ड्र्रेन वार्ड --- 12

फिमेल मेडिसिन --07

मेल मेडिसिन ---10

सर्जरी वार्ड-----05

आई---------05

कॉलिंग

हमारी तरफ से डॉक्टर को रिलीव कर दिया गया है। किसी वजह से वे ज्वाइन नहीं कर रहे हैं तो इसकी जानकारी नहीं है। इस संबंध में एडी हेल्थ को भी लेटर भेज दिया गया है।

डॉ। राजीव मिश्रा, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज

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इनसेट

आप पर है निगाह, सुधर जाइए

GORAKHPUR:

सीएम ने सरकारी डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है लेकिन उनके ही शहर में यह रोग काफी पुराना है। यहां तक कि डॉक्टर्स शपथ पत्र देकर भी प्राइवेट प्रैक्टिस से बाज नहीं आते। इसका खुलासा पहले ही दैनिक जागरण- आई नेक्स्ट कर चुका है। लेकिन, अब यह खेल और नहीं चलेगा। स्वास्थ्य महकमा ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे सभी डॉक्टर्स की लिस्ट उसके पास है। डॉक्टर्स सुधर जाएं वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

हमने बताया था

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'भगवान की झूठी कसम' न्यूज पब्लिश कर बताया था कि कैसे शपथ पत्र देने के बाद भी गवर्नमेंट डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इसके बाद महकमे में कुछ दिनों के लिए हलचल मची थी लेकिन फिर महकमा शांत हो गया। लेकिन, अब सीएम के आदेश के बाद ऐसे डॉक्टर्स की लिस्ट तैयार हो गई है जो प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस के कारण ऐसे डॉक्टर्स पेशेंट को गवर्नमेंट हॉस्पिटल में ठीक ढंग से नहीं देखते और उन्हें अपने प्राइवेट क्लिनिक पर बुलाते हैं। इससे मरीजों का आर्थिक दोहन होता है तो पब्लिक का गवर्नमेंट हॉस्पिटल से भरोसा उठता है।

बीआरडी प्रशासन हुआ सख्त

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस में काफी दिनों से लिप्त हैं। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि यदि डॉक्टर्स खुद अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाए तो उन्हें पहले नोटिस दी जाएगी। नोटिस के बाद भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।