-तीमारदारों में मची अफरा-तफरी, नर्स ने हाथ लगाकर रोकी ऑक्सीजन की सप्लाई

-बच्चे को ऑक्सीजन सिलिंडर से दी गई ऑक्सीजन, हॉस्पिटल मैनेजमेंट बोला मामूली घटना

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मरीजों की जिंदगी हमेशा ही दांव पर लगी रहती है। यहां मरीजों के इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं नहीं हैं और जो सुविधाएं हैं उनके इस्तेमाल में लापरवाही बरती जाती है। ऐसी ही लापरवाही का नतीजा फ्राइडे सुबह बच्चा वार्ड में देखने को मिला। बच्चा वार्ड में एक बीमार बच्चे को ऑक्सीजन लगाने के लिए जैसे ही नर्स ने ऑक्सीजन की सप्लाई ओपन की तो बाल्व उसके हाथ में आ गया और गैस लीक होना शुरू हो गई। गैस लीकेज से अचानक वार्ड मौजूद तीमारदारों और स्टाफ में हड़कंप मच गया। तीमारदार अपने बच्चों को लेकर बाहर भागने लगे। नर्स ने ही किसी तरह हाथ रखकर गैस लीकेज को रोका और फिर मेन सप्लाई बंद की गई लेकिन इसके अलावा कोई भी इंतजाम नहीं थे। उसके बाद बच्चे को सिलिंडर से ऑक्सीजन देकर इलाज शुरू किया गया।

ड्रिप लगे बच्चों को ही लेकर भागे तीमारदार

पुराना शहर निवासी दंपति नईम खान और शमा ने दो दिन पहले ढाई वर्ष की बच्ची अनमता को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड एडमिट कराया था। अनमता एनीमिया से पीडि़त थी। फ्राइडे को जब उसकी तबियत अचानक बिगड़ी तो सिस्टर डेजी उसे ऑक्सीजन लगाने गई। जैसे ही सिस्टर ने ऑक्सीजन का वॉल्व ओपन किया तो वॉल्व टूटकर उनके हाथ में आ गया। जिसके बाद तेजी से ऑक्सीजन निकलने लगी। ऑक्सीजन निकलने की खबर लगते ही वार्ड में मौजूद तीमारदार भर्ती बच्चों को लेकर बाहर भागने लगे। बच्चों के ड्रिप लगी तो लोगों ने हाथ में ही ड्रिप पकड़ ली और वार्ड से बाहर की ओर दौड़ लगा दी।

हाथ लगाकर रोकी ऑक्सीजन

सिस्टर डेजी ने बताया कि जब वॉल्व टूटकर उनके हाथ में आ गया तो उन्होंने तुरंत पाइप पर हाथ लगा लिया जिससे कुछ समय के लिए ऑक्सीजन को रोक लिया। इसके बाद ऑक्सीजन की मेन सप्लाई को बंद कराया गया। उसके बाद बच्ची को सिलिंडर से ऑक्सीजन दी गई। हालांकि सिस्टर ने ऑक्सीजन हाथ से रोककर बच्चों की जान बचाने की कोशिश की लेकिन क्या ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने का कोई ओर उपाय नहीं था।

वार्ड ब्वॉय चलाते हैं सप्लाई

पूरे अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई को चलाने के लिए कोई भी ऑपरेटर नहीं है। अगर किसी वार्ड में ऑक्सीजन लगानी होती है तो वार्ड ब्वॉय ही चलाते हैं। अगर ऐसे में कभी कोई बड़ा हादसा हो गया तो कोई उसे कंट्रोल करने वाला भी नहीं है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इस तरह से कई बार ऑक्सीजन लीकेज के केस सामने आ चुके हैं लेकिन इसके बचाव के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। ऑक्सीजन सप्लाई रूम में भी मशीनों पर धूल जमा रहती है। यही नहीं ऑपरेटर न होने से सिलिंडर चेंज करने के दौरान काफी ऑक्सीजन भी निकलकर बर्बाद हो जाती है।

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अचानक जोर से आवाज आई तो समझ नहीं आया कि क्या हुआ। इसके बाद पता चला कि ऑक्सीजन निकल रही थी। उसके बाद मैं अपने बच्चे को लेकर वार्ड से बाहर भागी। - आशी मरीज की मां

तेज कांच के टूटने की आवाज आई, देखा तो मैडम पाइप पर हाथ लगाए खड़ी थीं। यह देख सभी बाहर की ओर भागने लगे। - इरफान मरीज के पिता

डॉ। ने सबसे कहा कि जल्दी बाहर भागो उस समय कुछ समझ नहीं आया कि क्या करें, बस बाहर भाग ही गए। - प्रियंका पाठक मरीज की मां