- नवरात्र के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना हुई

- मां के दरबार में बोए गए तीसरे दिन हो जाएंगे अंकुरित, अंकुरित जौ हैं घर की सुरक्षा कवच

HARIDWAR (JNN) : वासंतिक नवरात्रों में मां के भक्त भक्ति में लीन हैं। दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना हुई। मां के दरबार में बोए गए जौ तीसरे दिन यानी सोमवार को अंकुरित हो जाएंगे। मान्यता है कि ये जौ घर-परिवार का सुरक्षा कवच बनते हैं, अंकुरित जौ को नौरतें कहा जाता है। जौ अलग-अलग रंग में अंकुरित होते हैं और इनका अलग-अलग महत्व भी है।

सफेद जौ है सबसे शुभ

शास्त्रीय विधान के अनुसार अंकुरित जौ को मां के भक्त द्वार में भी बांधते हैं और बहने भाईयों के कानों में। इसके अलावा विद्यार्थी जौ को पुस्तक के अंदर प्रतिष्ठित करते हैं। यही जौ साल भर तक घर-परिवार की सुरक्षा करते हैं। शेष बचे जौ को घट विसर्जन के साथ गंगा में प्रवाहित कर देते हैं। ये जौ मां दुर्गा की कृपा का प्रतीक होते हैं। जौ कई रंगों में अंकुरित होते हैं। इनका अलग-अलग महत्व बताया गया है। दुर्गा सप्तशती में इसका वर्णन किया गया है। सबसे शुभ और उत्तम सफेद रंग के जौ उगने को माना गया है। सफेद रंग के जौ उगने से मां की शत-शत कृपा प्राप्त होती और जीवन के सकल मनोरथ प्राप्त हो जाते हैं। हरे रंग के जौ को सुख-समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है।

गुलाबी जौ सौभाग्य का प्रतीत

गहरे हरे रंग के जौ को दीर्घायु व अरोग्य का द्योतक माना गया है। इसी प्रकार से पीले रंग के जौ को धन धान्य की प्राप्ति व वृद्धि का सूचक बताया गया है। लाल रंग के जौ को समृद्धि और विद्या-बुद्धि प्रदाता माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गुलाबी रंग के जौ को सौभाग्य का प्रतीक मानते हैं। इस तरह से काले रंग के जौ को व्यभिचारों के शमन का द्योतक माना गया है। जौ के अंकुरित नहीं होने को शुभ नहीं माना गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा बताते हैं कि जौ के अंकुरित नहीं होने की स्थिति में शांति पाठ करना चाहिए। इससे मां का आशीष प्राप्त होता है। वहीं, दूसरे दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही। हरिद्वार में कई सिद्धपीठ है। जहां भक्त सुबह व शाम मां भगवती की आराधना को पहुंच रहे हैं।

फोटो - क् व ख्:::